लखनऊ : उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में नोएडा पावर कंपनी ने ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के डाटा सेंटर को भारी और बड़े उद्योग की श्रेणी में शामिल करने के लिए याचिका दाखिल की है, जिस पर अब आयोग की तरफ से 21 सितंबर को सुनवाई की जाएगी. इस याचिका पर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सवाल खड़े करते हुए कहा है कि 'नियामक आयोग को यह याचिका स्वीकार ही नहीं करनी चाहिए.'
वर्तमान में डाटा सेंटर नॉन इंडस्ट्रियल वर्कलोड (एचवो वन) की श्रेणी में आता है. एचवो 1 श्रेणी की बिजली की दर एचवी टू श्रेणी से कहीं अधिक है. श्रेणी बदलने की दशा में डाटा सेंटर की बिजली लगभग 150 रुपए प्रति यूनिट सस्ती हो जाएगी. वर्तमान में एचवो 1 का 11 केवी पर एनर्जी चार्ज है जो ₹8.32 पैसे प्रति यूनिट है, जबकि एचवी 2 का प्रति यूनिट 7 रुपए 10 पैसे ही है. इसी प्रकार एचवी 1 का डिमांड चार्ज ₹4.30 पैसे प्रति केवी प्रतिमाह है. एचवी 2 का तीन रुपए प्रति केवीए हर महीने है. श्रेणी में बदलाव से संबंधित याचिका को लेकर विरोध भी शुरू हो गया है. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के मुताबिक, 'कानूनन इस याचिका को स्वीकार ही नहीं किया जा सकता है. किसी भी वित्तीय वर्ष में विद्युत लाइसेंस की याचिका पर सिर्फ एक बार ही टैरिफ जारी किया जा सकता है. सिर्फ फ्यूल सरचार्ज के मामले में ही याचिका दायर करने की छूट होती है. परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि याचिका की सुनवाई में शामिल होने के लिए आयोग से परमिशन मांगी है. नोएडा पावर कंपनी प्रदेश के अन्य किसानों की तरह अपने यहां के किसानों के बिजली की दरों में कम से कम 50 फ़ीसदी की छूट देनी होगी, इस तरह की मांग जरूर रखी जाएगी.'
विद्युत नियामक आयोग में बिजली कंपनियों की तरफ से अब तक कई याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं. लगातार इन पर सुनवाई भी होती है, लेकिन उपभोक्ता परिषद की तरफ से तर्कपूर्ण विरोध दर्ज कराने के बाद कंपनियां अपने काम को अंजाम देने में सफल नहीं हो पाती हैं. इस बार भी नोएडा पावर प्रोजेक्ट की तरफ से दाखिल की गई. इस याचिका को लेकर उपभोक्ता परिषद में तैयारी शुरू कर दी है.