लखनऊ : उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के अधीन सभी बिजली कंपनियों में बिजली चोरी के असेसमेंट में अधिशासी अभियंता कार्यालयों पर कमी और बढ़ोतरी की जाती रहती थी. भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलती थीं. उपभोक्ताओं का शोषण होता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने बड़ा फैसला लिया है. अब बिजली चोरी के अंतिम असेसमेंट पर कोई भी बदलाव नहीं किया जाएगा.
अगर किसी भी मामले में त्रुटि या गलती हुई है तो दो लाख तक के राजस्व निर्धारण के मामले में पूरा प्रकरण अधिशासी अभियंता कार्यालय की तरफ से मुख्य अभियंता को बदलाव के लिए भेजा जाएगा. इसके बाद निदेशक वित्त व निदेशक वाणिज्य डिस्कॉम के निर्णय के बाद ही उसमें बदलाव किया जा सकता है. त्रुटि के कारणों के लिए दोषियों पर कार्रवाई का भी प्रस्ताव देना होगा. यही नहीं दो लाख से ऊपर के राजस्व निर्धारण के मामले में संबंधित अधिशासी अभियंता कार्यालय की तरफ से मुख्य अभियंता के माध्यम से निदेशक वित्त डिस्कॉम व प्रबंध निदेशक के स्तर से ही उसमें कोई बदलाव किया जा सकता है. इस मामले में भी राजस्व निर्धारण में त्रुटि करने वाले कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव देना होगा. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन की तरफ से जारी आदेश के बाद पावर काॅरपोरेशन के अध्यक्ष डॉ आशीष कुमार गोयल व प्रबंध निदेशक पंकज कुमार से बात कर इस आदेश के लिए उन्हें प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के तरफ से बधाई दी.
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि 'निश्चित ही आने वाले समय में जो अधिशासी अभियंता कार्यालय में बिजली चोरी के राजस्व निर्धारण में कमी और बढ़ोतरी करके बड़ा भ्रष्टाचार किया जाता था उस पर अंकुश लगेगा. वर्तमान में बिल रिवीजन और बिजली चोरी के राजस्व निर्धारण के मामले में बडे़ पैमाने पर सभी बिजली कंपनियों में भ्रष्टाचार चरम पर है. उसके मद्देनजर पावर काॅरपोरेशन प्रबंधन ने जो फैसला किया है वह बिल्कुल सही है. इसका दूरगामी परिणाम सामने आएगा.'