लखनऊ: उत्तर प्रदेश की जिला उपभोक्ता अदालतों में भी जजों की कमी बढ़ती जा रही है. हाल ये है कि 79 जिला उपभोक्ता अदालतों में जज के 139 पद रिक्त हैं. इस वजह से जिला उपभोक्ता अदालतों में भी लोगों को 3 महीने में फैसला मिलने के बजाय तारीख पर तारीख मिल रही है.
उपभोक्ताओं को नहीं मिल पा रहा समय से न्याय.
उत्तर प्रदेश की जिला उपभोक्ता अदालतों में जज के 139 पद लंबे समय से रिक्त पड़े हैं. इन पदों पर राज्य उपभोक्ता आयोग में उपभोक्ता मामलों के अनुभवी अधिवक्ताओं को तैनाती दिए जाने का नियम भी है, लेकिन सरकारी कार्यालयों में होने वाली लेटलतीफी और लालफीताशाही की वजह से भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी.
जानकारों के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिला उपभोक्ता अदालतों में जजों की तैनाती के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है. इसके बावजूद भर्ती प्रक्रिया पूरी होने का सभी को इंतजार है. उपभोक्ता बार एसोसिएशन का दावा है कि सदस्यों की कमी की वजह से जिलों में भी लंबित मामलों की तादाद बढ़ती जा रही है. इससे त्वरित और सस्ते न्याय का लक्ष्य भी हासिल नहीं हो रहा है.
लोग जिला उपभोक्ता अदालतों में केस लंबा चलने और खर्चा अधिक होने की शिकायत करने लगे हैं. मुख्यमंत्री के आदेश के बावजूद जिला उपभोक्ता अदालतों में न्यायिक सदस्यों की तैनाती में देरी हो रही है. उत्तर प्रदेश में 75 जिलों में 79 उपभोक्ता अदालतें हैं. लखनऊ, बरेली, नोएडा और कानपुर में 2 जिला उपभोक्ता अदालतें हैं.
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