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सावधान: दोबारा हावी हो रहीं पोस्ट कोविड बीमारियां, दवाएं हो रहीं बेअसर - ईटीवी भारत यूपी न्यूज

पहली, दूसरी लहर के ठीक हुए मरीजों को दोबारा समस्या उभर रही है. इन मरीजों में दवा भी काम नहीं कर रही है. ऐसे मरीज फिर से मनोरोग विभाग की ओपीडी में पहुंच रहे हैं. जिसके बाद बलरामपुर अस्पताल के मनोरोग विभाग के डॉ. देवाशीष शुक्ला ने दोबारा उभर रही बीमारी पर स्टडी शुरू की है.

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दोबारा हावी हो रहीं पोस्ट कोविड बीमारियां

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Published : Apr 15, 2022, 2:38 PM IST

लखनऊ: कोरोना की चौथी लहर का खतरा मंडरा रहा है. विशेषज्ञों ने जून में वायरस के पीक पर होने की आशंका जताई है. वहीं पहली, दूसरी लहर के ठीक हुए मरीजों को दोबारा समस्या उभर रही है. इससे पहले कोरोना से ठीक हुए कई मरीज एंजाइटी, पोस्ट कोविड ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के शिकार हो हुए थे. उनमें घबराहट, नींद न आना, कान में वेंटिलेटर की बीप जैसी आवाज सुनाई देने समेत कई दिक्कतें हो रही थी.

इनमें से कई मरीज लगातार इलाज करा रहे थे. वह कई महीनों तक ठीक रहे, लेकिन अब उनमें फिर से बीमारी हावी होने लगी है. यही नहीं उन पर तय दवा की डोज भी बेअसर हो रही है. ऐसे में डॉक्टर को दवा की डोज बढ़ानी पड़ रही है. वहीं तमाम मरीजों ने राहत मिलने पर इलाज ब्रेक कर दिया था. अब वह फिर से समस्या लेकर मनोरोग विभाग की ओपीडी में पहुंच रहे हैं. जिसके बाद बलरामपुर अस्पताल के मनोरोग विभाग के डॉ. देवाशीष शुक्ला ने दोबारा उभर रही बीमारी पर स्टडी शुरू की है.

जानकारी देते हुए डॉ. देवाशीष शुक्ला
कितने मरीजों में क्या दिक्कतें- बता दें कि कोरोना से ठीक होने के बाद जिन लोगों में मानसिक विकार उत्पन्न हो रहे हैं, उनमें सबसे अधिक नींद न आने की समस्या है. यह आंकड़ा छोटा-मोटा नहीं है. देखा जा रहा है कि नींद न आने की समस्या से जूझ रहे लोगों की संख्या करीब 40 फीसदी है. वहीं डिप्रेशन के मरीजों की संख्या 31 फीसदी और एंजाइटी से जूझ रहे लोगों की संख्या करीब 42 फीसदी है.

यह भी पढ़ें-कोरोना की चौथी लहर का आगाज, चार दिनों से लगातार हो रही है मामलों में वृद्धि

क्यों बढ़ रहा है मानसिक विकार-सवाल यह है किकोरोना वायरस के कारण शरीर के अंदर ऐसा क्या होता है, जो मानसिक रोगों की वजह बन रहा है? तो अभी तक इसकी एक ही संभावित वजह सामने आई है. वो यह है कि कोविड-19 के कारण हमारे फेफड़ों में सूजन आती है. धीरे-धीरे यह शरीर के अन्य अंगों की तरफ भी बढ़ने लगती है. जिन रोगियों में यह सूजन दिमाग तक पहुंच जाती है, उनके ब्रेन की कार्यप्रणाली में बाधा उत्पन्न होती है. ऐसे रोगियों को अलग-अलग तरह की मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

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