लखनऊ:कोरोना महामारी के चलते देश के विभिन्न राज्यों में लॉकडाउन या फिर आंशिक कोरोना कर्फ्यू लगा है. राजधानी लखनऊ में पिछले काफी दिनों से कोरोना कर्फ्यू लगा है. ऐसे में तमाम ट्रेनें बेपटरी हो गई हैं. आधे से भी कम ट्रेनें चल रही हैं और यात्रियों की भी संख्या काफी कम है. इन दोनों का असर सीधे तौर पर दूसरों का भार उठाकर जिंदगी की गुजर-बसर करने वाले कुलियों पर पड़ा है. कोरोना से सबसे ज्यादा अगर कोई वर्ग प्रभावित हुआ है तो वह है रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों का भार ढोने वाले कुली. तमाम ट्रेनों के पहिए थम गए हैं तो कुलियों के कदम भी थम गए हैं. उन पर यह आंशिक लॉकडाउन वज्रपात की तरह टूटा है. उनकी जिंदगी आजकल उधारी पर चल रही है. साहूकार से उधार लेकर किसी तरह कुली अपना परिवार पाल रहे हैं. सरकार ने भी अभी उन्हें कोई मदद नहीं दी है.
बेपटरी हुई कुलियों की जिंदगी
लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन और लखनऊ जंक्शन पर कुली प्रतीक्षालय बनाया गया है. यहां पर कुली बैठकर यात्रियों का इंतजार करते हैं कि जब यात्री आएं तो उनका सामान लेकर ट्रेन तक पहुंचाएं और इससे जो कमाई हो उससे अपना परिवार पाल सकें. कोरोना महामारी के चलते आज कल इन कुलियों की जिंदगी बेपटरी हो गई है. ट्रेनों की संख्या आधे से भी कम है और यात्री भी पहले की तुलना में कई गुना कम हो गए हैं. लिहाजा, कुलियों की आय का साधन भी खत्म हो गया है. कुलियों को अब अच्छे दिन का इंतजार है. अब वे चाहते हैं कि जल्द कोरोना महामारी खत्म हो और पहले वाले दिन आ जाएं. सभी ट्रेनें पटरी पर लौट सकें और यात्रियों की संख्या भी बढ़ जाए.
लखनऊ मंडल में हैं कुल 383 रजिस्टर्ड कुली
उत्तर रेलवे और पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के सभी स्टेशनों को मिलाकर कुल 323 रजिस्टर्ड कुली हैं. उत्तर रेलवे के अधिकारी बताते हैं कि उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में 240 रजिस्टर्ड कुली हैं, वही पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के जनसंपर्क अधिकारी महेश कुमार गुप्ता बताते हैं कि लखनऊ जंक्शन, ऐशबाग स्टेशन और बादशाह नगर स्टेशन को मिलाकर कुलियों की संख्या 83 है. यानी दोनों मंडलों में 323 रजिस्टर्ड कुली हैं, जिन्हें इन दिनों महामारी के कारण संकट का सामना करना पड़ रहा है.
लखनऊ मंडल से संचालित हो रहीं सिर्फ इतनी ट्रेनें
कोविड-19 के दौर से पहले आम दिनों में ट्रेनों की कोई कमी नहीं थी. चारबाग रेलवे स्टेशन के साथ ही उत्तर रेलवे के स्टेशनों से रोजाना पहले 291 ट्रेनों का आवागमन होता था, लेकिन अब सिर्फ 170 ट्रेनें यहां से चलती हैं और पास होती हैं. पूर्वोत्तर रेलवे के पीआरओ महेश कुमार गुप्ता के मुताबिक लखनऊ मंडल से चलने और यहां के स्टेशनों से गुजरने वाली ट्रेनों को मिलाकर पहले यह संख्या 365 थी, लेकिन कोरोना का ट्रेनों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है. वर्तमान में लखनऊ मंडल से सिर्फ 91 ट्रेनें ही संचालित की जा रही हैं.
रह गए सिर्फ इतने यात्री
बात अगर लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन और लखनऊ जंक्शन की करें तो जब कोरोना वायरस का प्रकोप नहीं था तब प्लेटफार्म यात्रियों से खचाखच भरे रहते थे. अब स्थिति यह है कि जहां चारबाग स्टेशन से पहले रोजाना करीब ढाई लाख यात्रियों का आवागमन होता था जो अब सिर्फ 90 हजार तक ही सीमित रह गया है. लखनऊ जंक्शन के साथ ही अन्य स्टेशनों को मिलाकर जहां पहले 80,000 से 1 लाख के बीच रोजाना यात्री सफर करते थे. यह संख्या घटकर अब सिर्फ 21 हजार रह गई है.