लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लगातार कोर्ट परिसर की सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए निर्देशित किया है. सीएम की इस मंशा को लेकर बीते दिनों डीजीपी उत्तर प्रदेश ने कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था के लिए सख्त निर्देश दिए थे. इसके बावजूद भी कोर्ट परिसर कितने सुरक्षित हैं, गुरूवार को कोर्ट में हुई बम विस्फोट की घटना से इसकी पोल खुल गई है.
राजधानी के सिविल कोर्ट परिसर में एक वकील पक्ष ने दूसरे वकील पक्ष के एक वकील, जो कि लखनऊ बार के पदाधिकारी है. उन पर देसी बम से हमला कर दिया. पीड़ित पक्ष का आरोप है कि जान लेने की नीयत से उन पर यह हमला किया गया है. वहीं घटना को अंजाम देने पहुंचे वकीलों ने असलहा भी लहराया. इस घटना के बाद भले ही लखनऊ पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित कर लिया हो और घटना में आरोपी वकीलों पर मुकदमा दर्ज किया गया हो, लेकिन बम विस्फोट की इस घटना ने कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है. वहीं सवाल यह भी उठ रहे हैं कि आखिर लगातार कोर्ट की सुरक्षा के निर्देशों के बावजूद भी देसी बम और असलहे कोर्ट परिसर के अंदर कैसे पहुंच रहे हैं.
पुलिस कर्मचारियों पर लगे आरोप
पिछले दिनों शासन के निर्देशों के तहत मेटल डिटेक्टर लगाए गए. मेटल डिटेक्टर के साथ ही सभी इंट्री प्वाइंट पर स्कैनर भी लगाया गया. सिविल कोर्ट में आने वाले वकीलों की मानें तो यह मेटल डिटेक्टर और स्कैनर सिर्फ औपचारिकता भर ही हैं. यहां पर तैनात किए गए पुलिस कर्मचारी इस बात का ध्यान ही नहीं रखते हैं कि परिसर में आने वाले व्यक्ति खासकर वकील मेटल डिटेक्टर से निकल रहे हैं या नहीं. यदि वकील मेटल डिटेक्टर निकल रहे, इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है कि आपके जाने पर ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मचारी आपका बैग स्कैन करेगा.