लखनऊ:पूरे उत्तर भारत में कड़ाके की सर्दी शुरू हो गई है और कोहरे ने सारे शहर को अपने आगोश में ले लिया है. वहीं अगर ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों की बात की जाए तो आज भी बहुत से ऐसे लोग हैं, जिनको आवाज तक नहीं मिल पाया है. ऐसे बहुत से परिवार हैं जो घास-फूस के टूटे मकानों में रहने को मजबूर हो रहे हैं.
लखनऊ के मोहनलालगंज विकासखंड के लालता खेड़ा गांव में नहीं मिला आवास. ईटीवी भारत की टीम राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज विकासखंड के अंतर्गत आने वाले लालता खेड़ा गांव पहुंची, जहां हमने देखा कि पूरा परिवार अलाव के किनारे बैठकर सर्दी से बचने की जद्दोजहद में जुटा हुआ है.
नहीं मिला आवास
हाईवे से लिंक रोड पर 500 मीटर अंदर आने के बाद ही हमें एक कच्चा मकान दिखा, जहां पूरा परिवार अलाव के सहारे सर्दी से बचने की कोशिश कर रहा था. वहीं जब हमने बात की तो उनका कहना है कि सारी रात इसी तरह गुजारनी पड़ती है. घास-फूस के छप्पर में परिवार संग रहने को मजबूर हैं. परिवार ने बताया कि हमने कई बार आवास की मांग की है, लेकिन हमें अब तक आवास नहीं मिल पाया.
अलाव के सहारे गुजरती है रात
वहीं जब हम लालता खेड़ा गांव पहुंचे तो देखा वहां भी ऐसे बहुत से मकान हैं जो घास-फूस के बने हुए हैं और उन परिवारों को भी अब तक आवास नहीं मिल पाया है. परिवारों का कहना है कि हमने कई बार अपने आवास के लिए ग्राम प्रधान और अधिकारियों से मांग की है, लेकिन हमें अब तक आश्वासन ही मिला है. परिवारों का कहना है कि हम रात भर ऐसे ही अलाव के सहारे गुजार देते हैं.
घास-फूस के घरों में रह रहे लोग. जहां एक तरफ सरकार दावे कर रही है कि हम गरीबों को उनके सपनों के आशियाने दे रहे हैं. वहीं दूसरी ओर राजधानी लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्रों की सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है. अब ऐसे में देखने वाली बात है कि कब इन गरीब परिवारों को उनके सर पर छत मिलेगी.