लखनऊ :कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव बनने के बाद अब छठवें और सातवें चरण के चुनाव में प्रियंका गांधी की असली अग्निपरीक्षा होने जा रही है. प्रियंका पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी हैं. ऐसे में पूर्वांचल की 27 सीटों में से ज्यादा से ज्यादा कांग्रेस प्रत्याशियों की सीटें निकालने की जिम्मेदारी भी प्रियंका गांधी के कंधों पर है.
पूर्वांचल की सीटों पर क्या प्रियंका का बजेगा डंका
- 12 मई को उत्तर प्रदेश की 14 सीटों पर छठवें चरण और 19 मई को 13 सीटों पर सातवें चरण का चुनाव होना है.
- छठवें चरण की इन 14 सीटों में अगर कांग्रेस पार्टी की बात की जाए, तो 2014 में एक भी सीट कांग्रेस के नाम नहीं थी.
- 2009 में 4 सीटों पर कांग्रेस ने अपना परचम लहराया था.
- सातवें चरण की 13 सीटों की बात की जाए तो सिर्फ एक सीट पर ही कांग्रेस ने जीत हासिल की थी.
- कुल मिलाकर छठवें और सातवें चरण की 27 सीटों में से 2009 में कांग्रेस ने 5 सीटें जीती थी.
- इस बार एक्टिव राजनीति में प्रियंका गांधी पूरी तरह से उतर चुकी हैं और पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रभारी की जिम्मेदारी भी निभा रहीं हैं.
- ऐसे में इन 27 सीटों पर कांग्रेस को प्रियंका से काफी उम्मीद है.
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- 2009 में सुलतानपुर सीट से डॉ. संजय सिंह, प्रतापगढ़ से राजकुमारी रत्ना सिंह, श्रावस्ती से विनय कुमार पांडेय और डुमरियागंज से जगदंबिका पाल ने कांग्रेस को जीत दिलाई थी. वहीं सातवें चरण की एकमात्र सीट महराजगंज पर हर्षवर्धन ने कांग्रेस का झंडा लहराया था.
- प्रियंका गांधी की सक्रिय राजनीति का असर जरूर चुनाव पर पड़ेगा. जब से प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश की प्रभारी बनी हैं, तब से उन्होंने उत्तर प्रदेश में पश्चिम से लेकर पूरब तक प्रचार-प्रसार किया. महिलाओं से मिलीं, जनसंवाद किया, उसका असर जरूर पड़ेगा.