लखनऊ :उत्तर प्रदेश में एक सारस को लेकर सियासी हंगामा छिड़ा हुआ है. अमेठी में सारस को अपने साथ रखने वाले आरिफ पर मुकदमा भी हो गया है. फिलहाल सारस लखनऊ के चिड़ियाघर में हैं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव गाहे-बगाहे आरिफ के सारस की चर्चा कर योगी आदित्यनाथ को घेरते हैं. साथ ही वह राजनीतिक सवाल भी करते रहे हैं कि मोर पालने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती. सारस की चिंता में हो रही राजनीतिक बहस में यह चर्चा गुम हो जाती है कि यूपी में पक्षियों के अवैध व्यापार का बाजार करीब 1000 करोड़ रुपये का हो चुका है, मगर उस पर लगाम क्यों नहीं कसी जा सकी है. लखनऊ समेत प्रदेश के बड़े शहरों के मुख्य बाजारों में पिजड़े में बंद दुर्लभ चिड़ियां बिक रही है. कई बड़े नेताओं ने हाथी तक पाल रखे हैं.
सारस पर सियासत मगर यूपी में खुलेआम बिक रहे पक्षियों की चिंता कौन करेगा ? - तोतों को पालना भी अपराध
पिछले दिनों वन विभाग अमेठी में आरिफ से सारस छीनकर ले आया. खूब राजनीति हुई. मगर सारस के शुभचिंतक सपा और सरकार को उन परिंदों की याद नहीं आई, जिन्हें खुलेआम बाजार में प्रतिबंध लगने के बाद भी बेचा जा रहा है. इन पक्षियों का अवैध बाजार 1000 करोड़ रुपये का बताया जा रहा है, मगर इसकी चिंता किसी को नहीं है.
तोतों को पालना भी अपराध :वन विभाग के मुताबिक तोतों की अनेक प्रजातियां हैं. तोतों की 20 प्रजातियां खत्म हो चुकी हैं, जबकि 27 विलुप्त होने की कगार पर हैं. भारत में 11 प्रजाति के तोते पाए जाते हैं. किसी भी प्रजाति के तोते को पालना वन विभाग के नियमों के मुताबिक नहीं है. फिर भी अज्ञानता मेल लोग तोते पालते हैं. जिसका फायदा शिकारी उठा रहे हैं. इसके अलावा ललमुनिया, कॉकटील, मैना, तीतर, जंगली मुर्गी और ऐसे ही अनेक पक्षियों का अवैध कारोबार धड़ल्ले से किया जा रहा है.
पांच साल में सिर्फ 300 छापे : प्रभागीय वन अधिकारी रवि कुमार बताते हैं कि हर साल अवध क्षेत्र में 60 कार्रवाई तो हम कर ही देते हैं. हजारों की संख्या में विलुप्त की श्रेणी में आने वाले पशु पक्षियों को हम मुक्त करा चुके हैं. स्पेशल टास्क फोर्स और पुलिस हमारे साथ खड़ी होती है. पीलीभीत,लखीमपुर, श्रावस्ती और बहराइच क्षेत्रों से शिकारियों के खिलाफ अभियान चलते हैं. रवि कुमार का दावा है कि वन विभाग ने पिछले करीब 5 साल में 300 छापे मारे हैं, जिसमें हजारों की संख्या में पशु पक्षियों को मुक्त कराया जा चुका है.
साल में 1000 करोड़ रुपये का अवैध कारोबार :दुर्लभ और लुप्तप्राय पक्षियों का उत्तर प्रदेश में साल में 1000 करोड़ रुपए का अवैध कारोबार चल रहा है. वन अधिकारी रवि कुमार सिंह बताते हैं कि शिकारी बहुत ही कुख्यात तरीके से काम करते हैं. अपने को बचाने के लिए यह लोग महिलाओं और बच्चों का भी सहारा ले रहे हैं. महंगी गाड़ियों में पक्षियों का कारोबार करते हैं जिससे कि अंदाजा ना हो सके. आमतौर से पक्षियों के बाजार में ₹50 से लेकर ₹5000 तक के प्रति पक्षी बेचे जा रहे हैं. उनका मानना है कि अवैध पशु-पक्षियों का बाजार करीब 1000 करोड़ रुपये का हो चुका है.
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