लखनऊ: प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल यादव के दामाद आईएएस अधिकारी अजय यादव दोबारा उत्तर प्रदेश में प्रतिनियुक्ति पर आ सकते हैं. अजय यादव मूलत: तमिलनाडु कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. एक और तो शिवपाल यादव के भारतीय जनता पार्टी आने की चर्चा तेजी से चल रही है और वह समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव से विद्रोह करते हुए नजर आ रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर उनके आईएएस दामाद को दूसरी बार उत्तर प्रदेश में प्रतिनियुक्ति मिलने की संभावना भी प्रबल है. शिवपाल यादव भी इसके लिए प्रयासरत हैं. जिसको लेकर पिछले दिनों जब उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी तब इस मुद्दे पर चर्चा भी हुई थी. इसके बाद एक बार फिर नियुक्ति विभाग के अधिकारियों को निर्देश हुआ है कि वह इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं. साल 2018 में यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई थी.
उत्तर प्रदेश सरकार के नियुक्ति विभाग ने 2010 बैच के आईएएस अफसर अजय यादव को दो साल की प्रतिनियुक्ति देने का प्रयास योगी-1 सरकार में 2018 में हुआ था. तब केंद्र सरकार का कार्मिक मंत्रालय और फिर अपॉइंटिंग कमिटी ऑफ कैबिनेट (एपीसी) ने प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी थी. अजय उस वक्त यूपी सरकार में भूमि सुधार निगम के एमडी पद पर तैनात थे.
योगी से मिलकर शिवपाल ने की थी गुजारिश:शिवपाल सिंह यादव ने बीती 9 अगस्त 2018 को अपने आईएएस दामाद की प्रतिनियुक्ति बढ़वाने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर गुजारिश की थी. हालांकि, बाद में मीडिया में शिवपाल की ओर से सरकार और कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करने की वजह से सीएम असहज भी हो गए थे. पर उन्होंने शिवपाल के दामाद अजय यादव की प्रतिनियुक्ति बढ़ाने की फाइल आगे बढ़ा दी थी. सहारनपुर के रहने वाले अजय यादव 2010 बैच के तमिलनाडु कैडर के आईएएस हैं. वह 28 अक्टूबर 2015 से यूपी में तैनात किये गए थे. उनकी प्रतिनियुक्ति 31 दिसंबर को खत्म हुई थी. नियम के मुताबिक किसी भी आईएस को अपने गृह प्रदेश में दो बार प्रतिनियुक्ति मिल सकती है. यह प्रतिनियुक्ति 5 साल के लिए होती है जोकि दो टुकड़ों में दी जाती है.
स्पेशल केस में मिली थी प्रतिनियुक्ति:अजय यादव मूल रूप से तमिलनाडु कैडर में तैनात थे. तमिलनाडु के कोयंबटूर में उन्हें कमिश्नर कमर्शल टैक्स के पद पर तैनात किया गया था. उन्होंने नवंबर 2014 में ही अपने लिए प्रतिनियुक्ति मांगी थी. इस दौरान उन्होंने अपने बच्चे के स्वास्थ्य के कारणों का हवाला दिया था. इसके बाद भी केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने उन्हें प्रतिनियुक्ति देने से इनकार कर दिया था. मंत्रालय का कहना था कि यह इंटर कैडर प्रतिनियुक्ति केवल उन्हीं अफसरों को दी जा सकती है जो अपने मूल कैडर में नौ साल की सेवा पूरी कर चुके हों.