लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने का बड़ा ऐलान किया है. पांच राज्यों के होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले किसानों की नाराजगी दूर करने को लेकर केंद्र सरकार ने यह बड़ा फैसला किया है. वहीं समाजवादी पार्टी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने को लोकतंत्र की जीत बताई है.
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि जब किसानों के धरना प्रदर्शन में 600 किसानों की मौत हो गई थी तब प्रधानमंत्री का ध्यान उन किसानों की तरफ नहीं गया. उन किसानों के बारे में कभी नहीं सोचा. जब उन्हें एहसास हो गया है कि उनकी सत्ता जा रही है किसान उनके विरोध में खड़ा है तब सरकार ने इन कानूनों को वापस लिया है.
भदौरिया ने कहा कि जब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 340 किलोमीटर की रथयात्रा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर की तो सरकार को एहसास हो गया है कि सत्ता जा रही है. पीएम और भारतीय जनता पार्टी ने जब देखा कि लाखों का हुजूम अखिलेश यादव के स्वागत के लिए रात भर खड़ा रहा तो उन्हें एहसास हो गया है कि सत्ता जा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार को सत्ता जाने का डर सताने लगा. इसीलिए यह कृषि कानून वापस लिए गए हैं. भदौरिया ने कहा कि ये होती है लोकतंत्र की ताकत. उन्होंने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार तानाशाही भूल जाए. हिंदुस्तान में सिर्फ लोकतंत्र ही चलेगा.
वहीं तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने की घोषणा को आम आदमी पार्टी ने किसान आंदोलन की जीत बताई है. पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह मोदी सरकार के अन्याय पर किसानों की जीत बताई है. उन्होंने अपने बयान में किसानों को उसके लिए ढेरों बधाई दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से घोषणा के बाद संजय सिंह ने अपना एक वीडियो जारी किया. उन्होंने कहा कि भारत के अन्नदाता किसानों पर एक साल तक घोर अत्याचार हुआ. सैंकड़ों किसानो की शहादत हुई. अन्नदाताओं को आतंकवादी कह कर अपमानित किया गया. इस पर मौन क्यों रहे मोदी जी? देश समझ रहा है चुनाव में हार के डर से तीनो काला कानून वापस हुआ.
इस पूरे मामले पर आम आदमी पार्टी का पक्ष रखने के लिए लखनऊ में पार्टी कार्यालय पर प्रेस वार्ता का भी आयोजन किया गया है. यह प्रजातंत्र की जीत हैआम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह ने से मोदी सरकार के इस फैसले को प्रजातंत्र की जीत बताया है. उन्होंने कहा कि अत्याचार की हार हुई है. 700 से ज्यादा किसानों की शहादत को इतने लंबे संघर्ष और आंदोलन को देश और देश की आने वाली पीढियां याद रखेंगी. काला कानून वापस होना खेत, खलिहान और किसानी की जीत है.