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UP Election 2022: छठवें और सातवें चरण में पूर्वांचल के बाहुबलियों पर नजर, जानिए इनका राजनीतिक सफर - माफिया धनंजय सिंह

पूर्वांचल में कई बाहुबली चुनावी मैदान में हैं. छठे चरण में चिल्लूपार विधानसभा सीट से हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी सपा से चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं तो जौनपुर से माफिया धनंजय सिंह, ज्ञानपुर सीट से विजय मिश्रा, मऊ सदर से अब्बास अंसारी जैसे दिग्गज बाहुबली चुनावी मैदान में हैं, जिनकी प्रतिष्ठा दांव पर है.

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पूर्वांचल के बाहुबली

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Published : Mar 1, 2022, 8:22 PM IST

लखनऊ:उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में पांच चरणों के लिए मतदान हो चुके हैं. छठे व सातवें चरण के लिए 3 मार्च और 7 मार्च को 111 सीटों पर मतदान होगा. यह दो चरण पूर्वांचल का हिस्सा कहे जाते हैं और ऐसे में पूर्वांचल में कई बाहुबली चुनावी मैदान में हैं. छठे चरण में चिल्लूपार विधानसभा सीट से हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी सपा से चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं. तो जौनपुर से माफिया धनंजय सिंह, ज्ञानपुर सीट से विजय मिश्रा, मऊ सदर से अब्बास अंसारी जैसे दिग्गज बाहुबली चुनावी मैदान में हैं, जिनकी प्रतिष्ठा दांव पर है.

गोरखपुर की चिल्लूपार विधानसभा सीट(Chillupar assembly seat) से पूर्वांचल के बाहुबली व ब्राह्मणों का बड़ा चेहरा हरि शंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी सपा से चुनाव मैदान में हैं. इस सीट पर राजनीतिक पंडित खासी नजर बनाए हुए हैं. इसका कारण है कि इस सीट पर अब तक योगी आदित्यनाथ का जादू नहीं चल सका है. लेकिन इस बार हालात कुछ अलग हैं. मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर गोरखपुर जिले की सभी सीट जिताने की जिम्मेदारी है. ऐसे में विनय शंकर तिवारी के लिए ये चुनाव उनका राजनीतिक भविष्य तय करेगा.

विजय मिश्रा
विजय मिश्रा का भविष्य है दांव पर
आगरा जेल में बंद बाहुबली विधायक विजय मिश्रा भदोही जिले की ज्ञानपुर सीट से मैदान में डटें हुए है. विजय मिश्रा को किसी बड़े दल का साथ नही मिला तो उन्होंने प्रगतिशील मानव समाज पार्टी से पर्चा भरा था. विजय मिश्रा पर पहले से ही योगी सरकार की नजर टेढ़ी थी. उनकी अवैध संपत्तियों पर योगी सरकार ने बुल्डोजर चलवा कई कार्यवाई की थी. यही नही चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामें में उन्होंने अपने ऊपर 24 मुकदमों की सूचना दी है. विजय 2002 से 2017 तक ज्ञानपुर सीट से विधायक हैं. विजय मिश्रा के लिए ये चुनाव उनका राजनीतिक व व्यक्तिगत रूप से भविष्य तय करेगा.
माफिया धनंजय सिंह
चुनाव में दाव पर धनंजय की प्रतिष्ठा
पूर्वांचल का टॉप माफ़ियायों में से एक धनंजय सिंह दो दशकों से अपने बाहुबल से राजनीति में पैर पसारे हुए है. 2 बार विधायक व 1 बार सांसद रहे धनंजय सिंह 2009 के बाद से कोई भी चुनाव नही जीत सकें हैं. पिछले दिनों धनंजय सिंह लखनऊ में हुए अजित सिंह हत्याकांड से एक बार फिर चर्चा में आये थे. उन पर आरोप लगा कि 25 हजार इनामी होने के बाद भी वो खुलेआम चुनाव प्रचार कर रहे थे. जिस पर विपक्ष ने सरकार पर हमला किया था. धनंजय से इस बार भी बड़े दलों ने दूरी बनाई तो उन्होंने जेडीयू से पर्चा भरा है.
अब्बास अंसारी
अंसारी बंधुओं की राजनीतिक विरासत बचाने उतरे अब्बास-मुन्नू
बांदा जेल में बंद माफिया डॉन व बाहुबली मुख्तार अंसारी ने इस बार चुनाव न लड़ने का फैसला किया है. इस बार उन्होंने अपनी परंपरागत सीट मऊ सदर की राजनीतिक विरासत बड़े बेटे अब्बास अंसारी को सौंपी दी है. अब्बास सुभासपा से उम्मीदवार है, तो मुख्तार के बड़े बेटे सिबगतुल्लाह ने अपने बेटे मुन्नू अंसारी को मोहम्मदाबाद सीट से चुनावी मैदान में उतारा है.
विनय शंकर तिवारी
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उल्लेखनीय है कि छठे व सातवें चरण में बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, कुशीनगर, बस्ती ,संतकबीरनगर, अंबेडकर नगर, गोरखपुर, देवरिया, बलिया, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, जौनपुर, संत रविदास नगर, वाराणसी, मिर्जापुर, गाजीपुर, चंदौली और सोनभद्र जिलों की 111 सीट पर चुनाव होना है.


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