उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

विधानसभा चुनाव से पहले बसपा में उठापठक, हो सकता है बड़ा सियासी नुकसान !

यूपी में आगामी विधानसभा चुनाव (up assembly election 2022) को लेकर बहुजन समाज पार्टी (BSP) भी एक्टिव मोड में आ गई है. बसपा ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते गुरुवार को कद्दावर नेता लालजी वर्मा और राम अचल राजभर को दल से निष्कासित कर दिया था. वहीं इसको लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के अंदर तमाम तरह की चर्चाएं हो रही हैं. सूत्रों का दावा है कि बसपा के कई और विधायक दूसरे दलों के संपर्क में है और यह भी कभी भी दूसरे दलों में जा सकते हैं. इसका बड़ा खामियाजा बसपा को भुगतना पड़ सकता है.

विधानसभा चुनाव से पहले बसपा में उठापठक
विधानसभा चुनाव से पहले बसपा में उठापठक

By

Published : Jun 4, 2021, 7:31 PM IST

लखनऊ: 2022 के विधानसभा चुनाव (up assembly election 2022) से पहले बहुजन समाज पार्टी (BSP) में उठापठक शुरु हो गई है. पंचायत चुनाव में मिली कुछ संजीवनी को बरकरार रखने की जगह बसपा के अंदर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाने का सिलसिला शुरू हो गया है. जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के अंदर तमाम तरह की चर्चाएं हो रही हैं. इससे स्वाभाविक रूप से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है.

दूसरे दलों के संपर्क में थे नेता तो किया गया बाहर का रास्ता
वहीं पार्टी नेताओं का यह तर्क है कि जिन नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया गया है. यह दूसरे दल के संपर्क में थे, ऐसी स्थिति में बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी से निष्कासित किया है. चौंकाने वाली बात यह है कि उत्तर प्रदेश विधानमंडल में 2017 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के 18 विधायक निर्वाचित हुए थे और वर्तमान समय में 11 विधायक किसी न किसी कारण से पार्टी से निष्कासित है. फिलहाल सिर्फ 7 विधायक बसपा के पास बचे हुए हैं, जो एक बड़ा राजनीतिक संदेश देने वाला है.

देखें रिपोर्ट.

कई और विधायक व नेता हैं दूसरे दलों के सम्पर्क में
सूत्रों का दावा है कि बसपा के कई और विधायक दूसरे दलों के संपर्क में है और यह भी कभी भी दूसरे दलों में जा सकते हैं. जिसका स्वाभाविक रूप से बड़ा खामियाजा बहुजन समाज पार्टी को विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है. खास बात यह भी है कि बसपा के अंदर कैडर वाले पुराने नेताओं को धीरे-धीरे करके बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है.

विधायक असलम राईनी का आरोप, मिश्रा खत्म कर रहे हैं बसपा
फिलहाल सिर्फ वरिष्ठ नेताओं में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र मिश्र बचे हुए हैं. पार्टी के बागी व निष्कासित विधायक असलम राईनी का कहना है कि सतीश चंद्र मिश्र के इशारे पर मायावती काम कर रही हैं और सतीश चंद्र मिश्र धीरे-धीरे करके बसपा को नेस्तनाबूद कर देंगे. बिना किसी ठोस वजह के उन लोगों को पार्टी से निष्कासित किया गया है. इसका सीधा सा मतलब यह है कि सतीश चंद्र मिश्र के इशारे में बहुजन समाज पार्टी को खत्म किया जा रहा है. वह आरोप लगाते हैं कि सतीश चंद्र मिश्र दूसरे दलों से संपर्क में है और धीरे-धीरे करके बसपा को खत्म करके वह दूसरी पार्टी में चले जाएंगे.

इसे भी पढ़ें-बसपा से लालजी वर्मा और राम अचल राजभर निष्कासित

क्या कहते हैं बसपा प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर
बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने जो फैसला किया है वह हम सबको मान्य है. उन्हें कुछ लगा होगा कि स्थितियां ठीक नहीं है और पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप लग रहे थे. ऐसी स्थिति में उन्होंने पार्टी से बाहर किया है. जहां तक पार्टी को नुकसान की बात है तो हम सब लोग मेहनत कर रहे हैं और 2022 के चुनाव को लेकर संगठन को मजबूत कर रहे हैं. 2022 में मायावती को सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाने के लिए जी जान से जुटे हुए हैं. इसके लिए संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत किया जा रहा है.

अब तक इतने बागी विधायक निष्कासित हुए
बसपा के बागी विधायकों में श्रावस्ती की भिनगा सीट से विधायक असलम राईनी, हापुड़ से विधायक असलम अली, इलाहाबाद की प्रतापपुर सीट से विधायक मुज्तबा सिद्दीकी, प्रयागराज की हंडिया सीट से विधायक हाकिम लाल बिंद, सीतापुर सिधौली से विधायक हर गोविंद भार्गव, जौनपुर की मुंगरा सीट से विधायक सुषमा पटेल और आजमगढ़ से विधायक वंदना सिंह शामिल हैं. इसी तरह उन्नाव से विधायक अनिल सिंह व हाथरस से विधायक रामवीर उपाध्याय शामिल हैं. इसके बाद एक दिन पहले विधान मंडल दल के नेता लालजी वर्मा, व विधायक राम अचल राजभर को भी बसपा से निष्कासित कर दिया गया है.

बसपा के राजनीतिक अस्तित्व पर संकट के बादल
मायावती द्वारा लगातार नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाने के चलते उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बसपा में यह बड़ी उठापठक हो सकती है. जिससे बसपा के राजनीतिक अस्तित्व पर मंडरा रहे संकट से जोड़कर भी देखा जा रहा है. बागी विधायकों का उत्तर प्रदेश में सपा व भाजपा के संपर्क में होने की जानकारी खुद बसपा सुप्रीमो मायावती को है और यह बागी विधायक कभी भी चुनाव से पहले भाजपा या समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकते हैं. जो बहुजन समाज पार्टी के लिए एक बड़ा झटका रहेगा. देखना यह दिलचस्प होगा कि मायावती अब आगे क्या रणनीति अपनाती हैं.

इसे भी पढ़ें-बसपा के 7 बागी विधायकों ने अखिलेश यादव से की मुलाकात

राज्यसभा चुनाव के दौरान बसपा से बागी हुए थे विधायक
उत्तर प्रदेश में पिछले साल हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान बहुजन समाज पार्टी के कई विधायक समाजवादी पार्टी के संपर्क में आए थे और जैसे ही इसकी भनक मायावती को लगी तो उन्होंने पार्टी के विधायकों को पार्टी से निलंबित करने का फरमान सुना दिया था. इस समय बसपा के 9 विधायक पार्टी से बगावत कर चुके हैं और लगातार वह भाजपा व सपा के संपर्क में भी हैं. वहीं दो और विधायकों को मायावती ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है, जिससे बसपा को सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

सपा व भाजपा के संपर्क में हैं बागी विधायक
ऐसे में इन 9 बागी विधायकों के कभी भी इन दलों में शामिल होने की लगातार जानकारी भी मिल रही है. लेकिन खास बात यह भी है कि अभी यह सभी बागी विधायक औपचारिक रूप से सपा या भाजपा की सदस्यता ग्रहण नहीं करेंगे. मायावती इस फिराक में है कि अगर यह बागी विधायक दूसरे दल की औपचारिक रूप से सदस्यता ग्रहण करते हैं, तो विधानसभा अध्यक्ष के यहां विधायकों की सदस्यता समाप्त करने की याचिका दाखिल की जा सकेगी.

चुनाव के नजदीक सपा या भाजपा में शामिल होकर विधानसभा कि सदस्यता बचाने की कवायद
ऐसे में बसपा के बागी विधायक दूसरे दलों के संपर्क में हैं. दूसरे दलों के वरिष्ठ नेताओं से उनकी मेल मुलाकात हो रही है, लेकिन औपचारिक रूप से फिलहाल सदस्यता ग्रहण नहीं करेंगे. जिससे उनकी विधानसभा कि सदस्यतापर किसी प्रकार का कोई संकट न आए. बागी विधायक ने अनौपचारिक बातचीत में ईटीवी भारत को बताया है कि जैसे ही चुनाव नजदीक आएंगे, तो यह लोग अपने संपर्क के अनुसार सपा या भाजपा में शामिल होंगे.

इसे भी पढ़ें-विधायकों को नहीं संभाल पा रही बसपा, 2022 में हो सकता है नुकसान!

बसपा के वफादार सिपाही: लालजी वर्मा
हालांकि जिन दो विधायकों को बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक दिन पहले पार्टी से निष्कासित किया है. उन दोनों विधायकों ने किसी और दल में जाने से इंकार किया है. ईटीवी भारत से फोन पर लालजी वर्मा ने कहा कि हम बसपा के वफादार सिपाही हैं और अंतिम सांस तक बसपा में ही बने रहेंगे, कहीं किसी दूसरे दल में जाने की बातें अफवाह है. कुछ कंफ्यूजन जरूर राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती को हुआ है, जिसे हम मिलकर दूर करने की कोशिश करेंगे.

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर रविकांत
राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर रविकांत कहते हैं कि बहुजन समाज पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं को मायावती ने निष्कासित किया है. स्वाभाविक रूप से इसका पार्टी को खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. एक तरफ पंचायत चुनाव में बसपा को कुछ संजीवनी मिली थी, ऐसे में संजीवनी को कार्यकर्ताओं में जोश और उत्साह को बरकरार रखते हुए विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जोड़ना था, लेकिन पार्टी के दो नेताओं पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए बाहर का रास्ता दिखाया गया है. यह स्वाभाविक रूप से बसपा को नुकसान की तरफ ले जाएगा. इससे पहले भी बसपा के कई नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया गया. राजनीतिक रूप से बसपा कमजोर होती जा रही है. हालांकि बसपा अपनी सोशल इंजीनियरिंग के दम पर चुनाव मैदान में जा सकती है, जिससे उसे कुछ फायदा भी हो सकता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details