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लखनऊ विश्वविद्यालय में दिव्यांग छात्रों के लिए 'पॉलिसी फॉर पर्सन्स विद डिसेबिलिटीज' पारित

लखनऊ विश्वविद्यालय दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए एक नई सौगात लेकर आया है, जहां लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए 'पॉलिसी फॉर पर्सन्स विद डिसेबिलिटीज' पारित किया गया है. इससे काम और शिक्षा के सभी क्षेत्रों में दिव्यांग छात्रों और कर्मचारियों के भेदभाव, शोषण और बहिष्कार से बचने के लिए एक समावेशी संस्कृति का निर्माण किया जाएगा.

लखनऊ विश्वविद्यालय.
लखनऊ विश्वविद्यालय.

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Published : Sep 29, 2020, 6:02 AM IST

लखनऊ:लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए 'पॉलिसी फॉर पर्सन्स विद डिसेबिलिटीज' पारित किया गया. विश्वविद्यालय की मीडिया प्रभारी दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय का उद्देश्य है अपने हर एक विद्यार्थी को जीवन में आगे बढ़ने और सफल होने के लिए सम्पूर्ण रूप से तैयार करना. इस कोशिश में विश्वविद्यालय के दिव्यांग विद्यार्थियों को भी पूरी तरह से शामिल करने के लिए 28 सितंबर को कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय की अध्यक्षता में एक कार्यकारिणी बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में विश्वविद्यालय का पहला 'पॉलिसी फॉर पर्सन्स विथ डिसेबिलिटीज' पारित किया गया.

पॉलिसी के कुछ महत्त्वपूर्ण अंश-

  • काम और शिक्षा के सभी क्षेत्रों में दिव्यांग छात्रों और कर्मचारियों के भेदभाव, शोषण और बहिष्कार से बचने के लिए एक समावेशी संस्कृति का निर्माण करना.
  • विश्वविद्यालय के दिव्यांग छात्रों और कर्मचारियों को सेवाओं के प्रभावी वितरण सुनिश्चित करना.

वहीं, विश्वविद्यालय दिव्यांग व्यक्तियों के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करेगा, जो दिव्यांग व्यक्तियों के लिए नीति और दिशा निर्देश तैयार करने के साथ-साथ उन्हें लागू करने की जिम्मेदारी होगी. सभी समिति सदस्यों को 3 साल की अवधि के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा नियुक्त किया जाएगा.

उक्त समिति के प्रमुख कार्य निम्नलिखित होंगेः

  • दिव्यांग व्यक्तियों के किसी भी मामले से संबंधित प्रमुख शिकायतों का हल करना
  • खुले कोटे के माध्यम से और उनके लिए आरक्षण के माध्यम से भी, दिव्यांग छात्रों का अधिक संख्या में प्रवेश सुनिश्चित करना
  • विश्वविद्यालय में नामांकित दिव्यांग व्यक्तियों की शैक्षिक आवश्यकताओं का आकलन करना.
  • शिक्षाशास्त्र, मूल्यांकन प्रक्रियाओं आदि के संबंध में विश्वविद्यालय के आचार्यों के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना.
  • विद्यार्थियों की मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग, इंटर्नशिप के लिए छात्रों को तैयार करना, PWD के लिए उनकी पढ़ाई के सफल समापन के बाद उचित रोजगार आदि का प्रबंध सुनिश्चित करना.

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