लखनऊ: पुलिस वाले भी इंसान है इनका भी घर परिवार बीवी-बच्चे हैं, बिना एक दिन का भी ऑफ लिए यह ड्यूटी करते हैं और कोरोना काल में कोरोना वॉरियर्स बनकर सड़कों पर तैनात हैं. कहीं लोगों को समझा रहे हैं तो कहीं लोगों को मास्क दे रहे हैं. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पुलिस का अंदाज हल्का सा बदला हुआ है. पुलिसकर्मियों का कहना है कि कोरोना को आए हुए एक साल तीन महीने हो चुके है. अब लोग कोरोना वायरस के प्रति जागरूक हैं. लोगों को समझाने की जरूरत नहीं पड़ रही है कि आप घर में रहें. लोग कोरोना के डर के मारे घर में ही रह रहे हैं. बेवजह बाहर नहीं निकल रहे हैं. कोरोना प्रोटोकॉल का जो भी उल्लघंन कर रहे हैं. उनका चालान काटा जा रहा है.
2020 और 2021 में आया फर्क
पिछले साल 2020 के मार्च में जब कोरोना के मरीज बढ़ने शुरू हुए थे, तो सरकार ने 22 अप्रैल को लॉकडाउन लगा दिया था. घर के बाहर कोई न निकले और कोरोना के नियम, प्रोटोकॉल का पालन हो इसकी जिम्मेदारी पुलिस के कंधों पर सौंप दी गई. उस समय लोग बाहर निकलने के लिए परेशान थे, किसी न किसी बहाने से बाहर निकल रहे थे और ऐसे में पुलिस लोगों को समझाकर जब हार गई तो उन्होंने लाठी उठा ली थी. उस बीच सोशल मीडिया पर आम पब्लिक पर पुलिस कर्मियों के काफी वीडियो लाठी बरसाते हुए वायरल हो रहें थे. सभी को यह दिखाई दिया कि पुलिस लाठीचार्ज कर रही है, लेकिन किसी को यह दिखाई नहीं दिया कि पुलिस किस वजह से पब्लिक पर लाठी बरसा रही है. हजरतगंज नरही के थाना प्रभारी इंस्पेक्टर भूपेंद्र सिंह ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में पुलिस इसलिए भी ज्यादा सख्ती नहीं बरत रही हैं. क्योंकि लोग अब जागरूक हो चुके हैं. उन्हें समझाने की जरूरत नहीं पड़ रही है. जो लोग मास्क नहीं लगा रहें है, उन्हें पुलिस स्वयं मास्क दे रही है.
1 महीने में 11 लोगों को लिया हिरासत में
हजरतगंज के थाना प्रभारी भूपेंद्र सिंह ने बताया कि ऐसा नहीं है कि हम कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. लूटपाट या चोरी जैसे कई मामले सामने आ रहे हैं, उस पर हम अपराधियों को हिरासत में ले रहे हैं. लेकिन इस समय ऐसे मामले बहुत कम आ रहे हैं. जहां पहले 1 दिन में 10 केस आते थे, वहीं कोरोना काल में 1 महीने में 11 अपराधियों को हिरासत में लिया गया. जिनमें धोखाधड़ी, झूठा आश्वासन जैसे मामले शामिल हैं.
हिरासत के बाद पुलिस भी हो जाते थे संक्रमित
थाना प्रभारी भूपेंद्र ने बताया कि पिछले साल लोग ज्यादा लापरवाही कर रहे थे. नियमों को तोड़ रहे थे. या फिर चोरी, लूट-पाट के अपराधियों को हिरासत में लिया जाता था. उसमें से कम से कम अगर 30 को हिरासत में लिया जाता था, तो 12 की आरटीपीसीआर रिपोर्ट पॉजिटिव आती थी. जिसके बाद उन्हें कोविड-19 अस्पताल भेज दिया जाता था. उन्होंने बताया कि जब हिरासत में लेते थे तो उस वक्त मालूम नहीं होता था कि इसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ सकती है. बाद में जब रिपोर्ट आती थी, तो पता चलता था कि हिरासत में लिए गए अपराधी कोरोना संक्रमित है. जिसके बाद थाने के सभी पुलिस कर्मचारियों का कोरोना जांच होता था. जिसमें से ज्यादातर पुलिस कर्मचारी पॉजिटिव पाए जाते थे. फिलहाल कोरोना की दूसरी लहर में अब तक किसी को हिरासत में नहीं लिया गया है.