लखनऊ: हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच द्वारा आरोप पत्र पर रोक का आदेश दिए जाने के बावजूद अभियुक्तों को हाईकोर्ट के ही गेट से उठा ले जाने के लखनऊ पुलिस के कृत्य पर न्यायालय ने नाराजगी जताई है. न्यायालय ने इस कृत्य को अनुचित करार देते हुए कहा है कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. मामले की अगली सुनवाई 10 अगस्त को सुबह साढ़े दस बजे की जाएगी व सुनवाई के समय न्यायालय ने डीसीपी, पूर्वी व एसएचओ गुडम्बा समेत अभियुक्तों को उठाने वाली पूरी पुलिस टीम तलब किया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने सुरेश कुमार तंवर व बलबीर सिंह की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया. दोनों याचियों के विरुद्ध डॉ. श्वेता सिंह गाजीपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि उत्तराखंड सरकार द्वारा बलबीर सिंह को खनन पट्टे का आवंटन किया गया था. खनन कार्य के लिए याचियों ने वादिनी के साथ करार किया जिसके अनुसार खनन कार्य वादिनी की फर्म को करना था. आरोप है कि 42 लाख रुपये का भुगतान प्राप्त करने के बाद याचियों ने खनन कार्य स्वयं शुरू कर दिया व वादिनी के पैसे हड़प लिए. इस मामले में याचियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की व वादिनी की रजामंदी से एक महीने में उसे 35 लाख रुपये और दिसम्बर 2022 तक 15 लाख रुपये वापस करने की बात कही. शेष धनराशि के लिए न्यायालय ने मामले को हाईकोर्ट के मध्यस्थता व सुलह केंद्र को भेज दिया. साथ ही मामले में याचियों के विरुद्ध दाखिल आरोप पत्र पर रोक लगा दी.