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सावधान! अंजान एप इंस्टाल करते ही उड़ सकते हैं खून पसीने की कमाई, इस  तरह करें बचाव - search engine optimization

साइबर क्रिमनल कैंसर की तरह पूरे प्रदेश में फैल गए हैं, जिसका शिकार आम आदमी से लेकर पुलिस अधिकारी हो रहे हैं. हालहीं में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और डीजी नागरिक सुरक्षा विश्वजीत के साथ साइबर क्रिमनल ने ठगी की. यही नहीं बीते दिनों कई साइबर ठगी से संबंधित घटनाएं सामने आई हैं.

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साइबर क्राइम

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Published : Mar 7, 2022, 7:11 PM IST

लखनऊ: स्मार्टफोन की दुनिया ने लोगों के जीवन को आसान बना दिया है. घर का सामान मंगवाना हो या फिर होटल बुक करना हो, कैब मंगवाना हो या फिर रेल, बस की टिकट बुक करना हो, एक झटके में ये काम हो जाते हैं. लेकिन ये सहूलियत अब लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन रही है. साइबर क्रिमनल कैंसर की तरह पूरे प्रदेश में फैल गए हैं, जिसका शिकार आम आदमी से लेकर पुलिस अधिकारी हो रहे हैं. हाल ही में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और डीजी नागरिक सुरक्षा विश्वजीत के साथ साइबर क्रिमनल ने ठगी की. यही नहीं बीते दिनों कई साइबर ठगी से संबंधित घटनाएं सामने आई हैं.

साइबर क्राइम
वरिष्ठ IPS अधिकारी के साथ हुई साइबर ठगी
नागरिक सुरक्षा के डीजी और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी विश्वजीत महापात्रा लखनऊ के गोमतीनगर में रहते हैं और मुम्बई गए हुए थे. उन्होंने मुंबई से कराड के लिए कैब बुक कराने के लिए गूगल पर Allindiacab.net का नंबर सर्च किया था. वेबसाइट पर उन्हें अपनी पर्सनल डिटेल और गंतत्व स्थान भर दिया. डिटेल भरते ही उनके नम्बर पर एक कॉल आती है और खुद को Allindiacab.net कर्मचारी बताता है. कैब बुकिंग के लिए उसने सौ रुपये ऑनलाइन जमा करने को कहा, जिसके लिए उसने आईपीएस अधिकारी को एक लिंक भेजा. अधिकारी ने जब लिंक द्वारा रकम जमा नहीं हो पाई तो उसने एक अन्य लिंक भेजकर एप डाउनलोड करा दिया. साथ ही एप से रकम भेजने के बारे में जानकारी भी दी. महापात्रा ने जैसे ही एप डाउनलोड कर खोला उनके खाते से दो बार में 50 हजार रुपये निकल गए. उन्होंने फोन करने वाले व्यक्ति को कॉल बैक किया तो उसका मोबाइल बंद था. ठगी के तुरंत बाद ही विश्वजीत महापात्रा ने साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई.

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फ्लाइट टिकट का पैसा वापस देने का नाम पर लगाया चूना
लखनऊ के विष्णु दत्त शर्मा ने पुणे जाने के लिए फ्लाइट का टिकट बुक कराया था. जिसके बाद उनके पास एक ठग का कॉल आया और उनसे पूछता है कि क्या उन्होंने पुणे के लिए फ्लाइट का टिकट बुक कराया है. विष्णु दत्त ने किसी भी प्रकार के एसएमएस मिलने से इनकार किया तो ठग ने पैसे वापस करने का वायदा कर उनसे उनके डेबिट कार्ड की डिटेल ले ली. इसके थोड़ी देर ही बाद विष्णु के आकाउंट से 99,790 रुपये ठग उड़ा लिए.

क्या कहते हैं जिम्मेदार
उत्तर प्रदेश में साइबर क्राइम को लेकर सरकार लगातार चिंतित रही है. इसी का नतीजा रहा है कि राज्य के सभी जिलों में साइबर थानों की स्थापना की गई है. वहीं, कई मामलों में पुलिस ने गिरफ्तारियां भी की है. उसके बावजूद साइबर क्राइम की घटनाओं में इजाफा हो रहा है. लखनऊ में तैनात सहायक पुलिस आयुक्त साइबर दिलीप सिंह की मानें तो उनकी टीम लगातार साइबर क्रिमनल्स की गिरफ्तारी करने के लिए अलग-अलग केस में कार्य करती है. कई मामलों में गिरफ्तारियां भी की है.

साइबर एक्सपर्ट क्या देते हैं सलाह
साइबर एक्सपर्ट और यूपी पुलिस के साइबर सलाहकार राहुल मिश्रा बताते हैं कि डीजी नागरिक सुरक्षा के साथ जो क्राइम हुआ है वो सिर्फ लापरवाही के चलते हुए है. उनका कहना है कि जब किसी को कोई भी कस्टमर केअर का नम्बर चाहिए होता है तो वो गूगल पर सर्च करता है जो कि गलत है. दरअसल, गूगल पर अधिकतर रिजल्ट फेक होते हैं, जो साइबर क्रिमनल्स के द्वारा फेक येलो पेज और वेबसाइट बनाई जाती है. जिसका एसईओ (सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन) कर टॉप रिजल्ट पर लाया जाता है. जिस कारण तो सर्च करने पर टॉप पर दिखती है और लोग उसी से फेक नम्बर निकाल लेते हैं और साइबर क्रिमनल्स ठगने का कार्य शुरू कर देते हैं.

साइबर एक्सपर्ट राहुल मिश्रा इस तरह की ठगी से बचने के लिए मुख्य रूप से 3 चीजें करने से मना करते हैं.

1: कस्टमर केअर का नम्बर ढूंढने के लिए ऑफिसियल वेबसाइट का प्रयोग करें.
2: गूगल पर कभी भी कस्टमर केअर का नम्बर न सर्च करें.
3: किसी के भी कहने से मोबाइल और लैपटॉप पर एप्लिकेशन मत इंस्टाल करें.
4: पैसे लेने के लिए पिन की जरूरत नहीं होती है, इसलिए जो भी यूपीआई प्रयोग करते हैं, उन्हें कोई पैसे भेजे और उसके लिए पिन मांगे तो कभी भी न दें.

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