लखनऊ: राजधानी के सुशांत गोल्फ सिटी थाना क्षेत्र के हरिहरपुर गांव में शनिवार शाम चली ताबड़तोड़ गोलियों के पीछे एक पूर्व डीजीपी का नाम आ रहा है. गोली कांड का आरोपी दुर्गा यादव जिले का सबसे बड़ा भू-माफिया है. पुलिस भू-माफिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी का कनेक्शन खंगाल रही है. पुलिस को कई ऐसे सुबूत मिले हैं, जिससे पूर्व डीजीपी और भू-माफिया दुर्गा यादव के रिश्ते पर मुहर लग रही है.
हरिहरपुर गांव गोलीकांड: पुलिस खंगाल रही पूर्व DGP का भू-माफिया कनेक्शन - दुर्गा यादव पर मुकदमा
राजधानी लखनऊ के एक पूर्व डीजीपी और भू माफिया के बीच का कनेक्शन पुलिस खंगाल रही है. भू-माफिया पर जमीन कब्जा करने और गोली चलाने का आरोप है. मामले में एक पूर्व पुलिस के शामिल होने से आरोपी पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही थी, जिससे पीड़ित को न्याय के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है.
![हरिहरपुर गांव गोलीकांड: पुलिस खंगाल रही पूर्व DGP का भू-माफिया कनेक्शन पुलिस खंगाल रही पूर्व DGP का भू-माफिया कनेक्शन](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-12116914-thumbnail-3x2-img.jpg)
लखनऊ में तैनात एक अधिकारी की मानें तो भू माफिया दुर्गा यादव पर पूर्व डीजीपी का हाथ है. दुर्गा यादव पूर्व डीजीपी के इशारे पर शहर और इसके आसपास की सैकड़ों बीघा जमीन पर कब्जा कर रखा है. कहा यह भी जाता है कि सात वर्ष पूर्व पिता के हत्यारोपी दुर्गा से जान को खतरा बताकर पीड़ित बजरंग रावत ने पुलिस से सुरक्षा की मांग की थी, लेकिन पूर्व डीजीपी के हस्तक्षेप की वजह से सुरक्षा देना तो दूर पीड़ित की सुनवाई तक नहीं हुई. यही नहीं मामले को दबाने के लिए पूर्व डीजीपी ने हत्या की जांच सीबीसीआईडी को ट्रांसफर करवा दी.
लखनऊ के शहीद पथ का ब्लूप्रिंट तैयार होने के बाद से ही आसपास की जमीनों के लिए मारामारी शुरू हो गई थी. हरिहरपुर में हुए गोलीकांड का विवाद तभी शुरू हुआ. गांव का इलाका गोसाईगंज थानाक्षेत्र में आता था. रोड के एक तरफ यादव और रावत बाहुल्य गावों की ज्यादातर जमीन इसी हाइवे से सटी हुई थी. रोड के निर्माण के साथ ही यहां भूमाफियाओं की धमक बढ़ने लगी. बीते शनिवार को जिस बजरंग यादव और उसके परिवार के सदस्यों को गोली मारी गयी, उसके पिता भीखा रावत की करीब सात बीघा जमीन शहीद पथ के बिल्कुल किनारे थी. इस जमीन पर उस वक्त आईजी रहे एक पूर्व पुलिस अफसर की निगाह गड़ गई. पूर्व पुलिस अफसर ने जमीन कब्जाने की जिम्मेदारी अपने गुर्गे दुर्गा यादव को दी. दुर्गा यादव ने भीखा पर औने पौने दाम में जमीन बेचने का दबाव बनाया. लेकिन भीखा राजी नहीं हुआ.
500 शिकायती पत्र दिए नहीं हुई कार्रवाई
भीखा पर जमीन बेचने के सारे प्रयास फेल हो गए तो दुर्गा यादव ने दूसरा हथकंडा अपनाया. दरअसल, भीखा की एक बहन थी जिसकी कोई संतान नहीं थी और वह मायके में ही रहती थी. वह भीखा की संपत्ति में आधे की हिस्सेदार थी. बुजुर्ग बहन की मौत होते ही दुर्गा का शातिर दिमाग जागा और उनके नाम पर दूसरी महिला को खड़ा करके उसने आधी जमीन का फर्जी बैनामा करवा लिया. इसकी जानकारी होते ही भीखा ने कोर्ट में आपत्ति दाखिल की, जिसकी वजह से बैनामे की दाखिल खारिज रुक गयी. आपत्ति वापस लेने के लिए कई साल तक भीखा पर दबाव डाला जाता रहा. लेकिन उसे किसी तरह न मानते देख दुर्गा और उसके सहयोगियों ने भीखा की 2015 में हत्या कर दी. हत्या की जांच लखनऊ पुलिस कर ही रही थी कि दुर्गा के आका आईजी का एडीजी पद पर प्रमोशन हो गया और उन्हें सीबीसीआईडी में पोस्टिंग मिल गयी. इसका फायदा उठाकर पूर्व डीजीपी ने हत्या के केस की जांच सीबीसीआईडी में ट्रांसफर करवा ली. यहीं से दुर्गा और उसके सहयोगियों को अभयदान मिला और गरीब भीखा का बेटा बजरंग न्याय के लिए दर-दर भटकने लगा. बजरंग ने जांच सीबीसीआईडी से किसी और एजेंसी में ट्रांसफर करने के लिए 500 से ज्यादा प्रार्थना पत्र दिए लेकिन, पूर्व डीजीपी के प्रभाव में मामला अबतक सीबीसीआईडी की फाइल में ही दबा पड़ा है.
हमले की आशंका की शिकायत को पुलिस ने हल्के में लिया
पिता की हत्या में मजबूती से केस लड़ रहे बजरंग और उसके भाई बहादुर को बैकफुट पर करने का प्रयास कई सालों से चल रहा है. साल 2018 में भी उस पर इसी तरह का जानलेवा हमला किया गया था. इसमें बजरंग और उसका भाई किस्मत से बच गए और गोसाईगंज पुलिस ने मामले को आपसी विवाद कहकर टाल दिया था। शनिवार को हुए हमले की आहट बजरंग को कुछ दिनों पहले ही लग गयी थी. उसने इसकी जानकारी भी सुशांत गोल्फ सिटी थाने में दी, लेकिन लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के बड़े अधिकारी से आरोपी दुर्गा यादव के मददगार पूर्व डीजीपी का पुराना याराना होने की वजह से इस बार भी पुलिस ने बजरंग को उसका बहम कहकर मामला टाल दिया. हमले में घायल बजरंग का कहना है कि पुलिस अधिकारी चाहे जितनी कोशिश करें लेकिन पिता के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए वह आखिरी सांस तक लड़ेगा.
लंबे समय से चल रहा खेल, पूर्व डीजीपी पर दर्ज हो चुका केस
जमीन कब्जे का खेल लंबे समय से चल रहा है. शहीद पथ पर दिल्ली पब्लिक स्कूल बनने के बाद इलाके में रौनक आ गई. इसके बाद इस जमीन की कीमत करोड़ों में हो गयी. बजरंग के एक हिस्सेदार ने यहां की अपनी जमीन दुर्गा के विरोधी विजय यादव को बेच दी, लेकिन पूर्व डीजीपी के प्रभाव की वजह से दुर्गा ने जमीन पर विजय को कब्जा नहीं करने दिया. 7 अगस्त 2019 को इस जमीन पर कब्जे को लेकर दोनों पक्षों से दर्जनों असलहाधारी जुटे और पूर्व डीजीपी खुद जेसीबी लेकर जमीन पर कब्जा करवाने पहुंचे थे. मीडिया ने मामले को हाइलाइट किया तो पूर्व डीजीपी के खिलाफ अवैध कब्जेदारी का केस भी दर्ज किया गया था. वहीं अपोलो हॉस्पिटल की जमीन पर कब्जे को लेकर दुर्गा यादव के लोगों ने गोली चलाई थी