लखनऊ: कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान पुलिस विभाग के कर्मचारियों ने अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया. इस दौरान जहां उन्होंने लोगों को राशन, आवश्यक सामग्री व दवाइयां उपलब्ध कराई तो वहीं इंसानियत का फर्ज अदा करते हुए कई लोगों की जान भी बचाई. लॉकडाउन के दौरान जिन लोगों को बीमारी, एक्सीडेंट के चलते ब्लड की जरूरत थी, ऐसे लोगों के पास जब उनके परिजन व परिवार वाले नहीं पहुंच सके तो वहां पर पहुंचकर डायल 112 की पीआरवी में तैनात जवानों ने इंसानियत का फर्ज निभाते हुए रक्तदान किया.
कई लोगों को दी नई जिंदगी
लॉकडाउन के दौरान कई पुलिस कर्मचारियों ने लोगों की मदद करते हुए रक्तदान किया है. खास बात यह है कि पीआरवी में तैनात पुलिस कर्मचारियों के ऊपर विभागीय अधिकारी की ओर से रक्तदान करने का कोई दबाव नहीं था. इन्होंने खुद की प्रेरणा से लोगों की जान बचाने के लिए रक्तदान किया.
वर्दी के साथ इंसानियत का किया फर्ज अदा
पुलिस कर्मचारियों ने कहा कि वर्दी का फर्ज निभाने के साथ-साथ हमने इंसानियत का फर्ज अदा किया है. इवेंट के दौरान जब हमें यह लगता है कि हमारे रक्तदान करने से किसी की जान बच सकती है तो फिर हम पीछे कैसे हट सकते हैं. भले यह हमारे काम में शामिल नहीं है लेकिन अगर हमारे प्रयासों से किसी जान बच सकती है तो इससे बढ़कर क्या हो सकता है.
केस-1
राजधानी लखनऊ में तैनात कॉन्स्टेबल नितिन कुमार ने रक्तदान कर चंदन हॉस्पिटल में एडमिट एक कैंसर पीड़ित की जान बचाने की कोशिश की. नितिन कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि चंदन हॉस्पिटल में एक कैंसर पीड़ित मरीज है, जिसे तत्काल रक्त की आवश्यकता है. कैंसर पीड़ित की पत्नी अमिता सिंह ने फोन कर मदद मांगी थी.
नितिन कुमार ने बताया कि, 'हमने तमाम प्रयास किए, विभिन्न सोशल मीडिया पर मैसेज डाला, लेकिन कोई उन्हें रक्त देने के लिए तैयार नहीं हुआ. इसके बाद मैंने व पीआरवी में तैनात आलोक सिंह ने रक्तदान करने का फैसला किया और हम दोनों ने कैंसर पीड़ित मरीज के लिए रक्तदान किया.
कॉन्सटेबल नितिन कुमार ने बताया कि, 'जब हम रक्तदान करने पहुंचे तो कैंसर पीड़ित व्यक्ति की पत्नी अमिता सिंह काफी परेशान थी. हमने उन्हें दिलासा दिया कि आप परेशान न हों, हम आपको रक्त उपलब्ध कराएंगे. यह काम हमने किसी दबाव या अधिकारियों के कहने पर नहीं किया. यह करने की हमें अंदर से इच्छा हुई और रक्तदान कर हमें काफी खुशी मिली.'
केस-2
पीआरवी 2500 में तैनात अमित कुमार सिंह ने बताया कि उन्हें सूचना मिली कि राजधानी लखनऊ के पीजीआई में सब कमांडर सुजीत कुमार की पत्नी को दो यूनिट ब्लड की जरूरत है. महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया है, लेकिन अधिक रक्त बह जाने के चलते उसकी हालत गंभीर है. सूचना मिलने के बाद अमित सिंह मौके पर पहुंचे, लेकिन लॉकडाउन के चलते पीड़ित महिला को रक्त देने वाला वहां कोई मौजूद नहीं था.
अमित कुमार सिंह ने बताया कि, 'अस्पताल का कहना था कि हम रक्त के बदले ही रक्त दे सकते हैं. लिहाजा हमारे सामने कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था. ऐसे में महिला की जान बचाने के लिए हमने खुद रक्तदान करने का फैसला किया और रक्तदान किया.'
केस-3
कॉन्स्टेबल अंकुर कुमार सिंह ने पीजीआई में कैंसर से संघर्ष कर रही 5 साल की बच्ची की रक्तदान कर मदद की. अंकुर कुमार सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि, 'मुझे जानकारी मिली थी कि पीजीआई में एक बच्ची का कैंसर का इलाज चल रहा है. इलाज के दौरान उसे रक्त की आवश्यकता है. इस सूचना के बाद हमने फैसला लिया कि बच्चे की जान बचाने के लिए रक्तदान किया जाएगा, जिसके बाद अस्पताल पहुंचकर मैंने रक्तदान किया.' अंकुर सिंह ने बताया कि देश सेवा के लिए हम हमेशा तैयार हैं और इसके लिए जो भी करना पड़ेगा हम करेंगे.
एडीजी डायल 112 का कहना है कि
एडीजी डायल 112 असीम अरुण ने बताया कि हमें पुलिस कर्मचारियों से फीडबैक मिला था कि कई बार घटना के दौरान इवेंट्स आते हैं कि संबंधित व्यक्ति को रक्त की आवश्यकता है. ऐसे में पुलिस कर्मचारियों ने लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में लोगों की मदद की है. वहीं इस मदद को व्यवस्थित करने के लिए हमने डायल 112 में एक पहल शुरू की है, जिससे कि सभी जनपद में पीआरबी में तैनात जवानों को वॉलिंटियर्स बनाया गया है, जिससे लोगों की मदद भी हो सके और एक ही आदमी को बार बार रक्तदान न करना पड़े.
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एडीजी असीम अरुण ने बताया उत्तर प्रदेश में कई पुलिस कर्मचारियों ने रक्तदान कर लोगों की जान बचाई है. इनमें लखनऊ, गौतम बुद्ध नगर, आगरा, प्रयागराज, फिरोजाबाद, मुरादाबाद, महोबा, बदायूं और शाहजहांपुर जैसे जिले शामिल हैं.