लखनऊ: उत्तर प्रदेश के चार और शहरों में पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था लागू हो सकती है. इसके लिए यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गृह मंत्रालय को चार शहरों में लागू इस व्यवस्था की समीक्षा के निर्देश दिए हैं. बताया जा रहा है कि, दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में यह प्रणाली लागू करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा को देखते हुए ये कदम उठाया जा रहा है. दो और शहरों में कमिश्नरेट बनाने का फैसला वर्ष 2022 विधानसभा चुनाव से पूर्व होना है.
अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मौजूदा समय में लागू पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था वाले शहरों लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और नोएडा की समीक्षा की जा रही है. DGP मुख्यालय में एक कमेटी पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था की कमियां और सुधार के संबंध में मन्थन कर रही है. DGP खुद पुलिस कमिश्नरेट के एक-एक शहरों की समीक्षा कर रहे हैं. शहरों से मिल रहे सकारात्मक परिणामों को देखते हुए गाजियाबाद, प्रयागराज, आगरा व मेरठ में यह व्यवस्था लागू करने पर विचार किया जा रहा है.
ये हैं प्रमुख चार शहर
आबादी के हिसाब से पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू करने की रेस में गाजियाबाद का नाम सबसे ऊपर है. इसके पीछे कारण यह माना जा रहा है कि गाजियाबाद से सटे दिल्ली व एनसीआर है. जहां अपराध और अपराधियों का बोलबोला रहता है. दिल्ली व इसके आसपास के अन्य राज्यों के सभी प्रमुख शहरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू है. केवल गाजियाबाद में नहीं है. इसलिए इसकी मांग की जा रही है. हाईकोर्ट व आबादी के हिसाब से उत्तर प्रदेश के बड़े शहर प्रयागराज में भी इसकी जरूरत बताई जा रही है. इसी तरह मेरठ व आगरा आबादी के हिसाब से बड़े शहर हैं. यहां पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था लागू की जानी चाहिए.
पीड़िताओं के लिए यह नया प्रयोग रहा सफल
एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि, कमिश्नरी प्रणाली लागू होने के बाद लखनऊ और नोएडा में महिला सुरक्षा को लेकर नया प्रयोग किया गया. दुष्कर्म पीड़िता व छेड़छाड़ पीड़िता की मदद के लिए हर समय एक पुलिस वाले की जिम्मेदारी तय की गई. पीड़िताओं के पास उनका नंबर होता है. इससे आरोपी अगर अपराध दोहराने का प्रयास करते हैं, तो उन पर नकेल कसी जा सकती है. उन्होंने कहा कि, प्रदेश के जिन चार शहरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू हुई है, वहां पुलिस के बारे में लोगों की धारणा में बदलाव आया है. अपराध में भी कमी आई है. इसका सबसे बड़ा असर कार्रवाई पर पड़ा है. लोगों की सुनवाई के लिए अधिकारियों की संख्या बढ़ गई है. अधिकारियों द्वारा एक-एक चीज पर मानीटरिंग की जा रही है.