लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्षबुधवार को लखनऊ के पुलिस कमिश्नर हाजिर हुए. उन्होंने बिजनौर थाने को वर्तमान स्थान से हटाने के लिए एक साल का समय मांगा. जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया. इसके साथ ही न्यायालय ने बिजनौर थाने का भवन सड़क पर अतिक्रमण करके बनाए जाने के आरोप को लेकर दाखिल जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने त्रिलोचन सिंह व अन्य की याचिका पर पारित किया है. याचिका पर जवाब न आने पर न्यायालय ने 31 जुलाई को पुलिस कमिश्नर को व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होने का आदेश दिया था. याचियों के अधिवक्ता प्रशांत जायसवाल ने बताया कि आदेश के अनुपालन में बुधवार को पुलिस कमिश्नर एसबी शिरडकर कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए. उन्होंने बिजनौर थाने को हटाने के लिए एक वर्ष के समय की मांग की जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया.
उल्लेखनीय है कि याचिका में बिजनौर थाने के वर्तमान भवन को सड़क पर अतिक्रमण कर बनाने का आरोप लगाया गया था. कहा गया कि बिजनौर रोड पर सीआरपीएफ चौराहे पर वर्ष 2012 से 2014 के बीच बिजनौर पुलिस चौकी बनाई गई, जो सिर्फ एक कमरे की थी. धीरे-धीरे उक्त चौकी का अतिक्रमण बढने लगा और बिजनौर थाना बनने के बाद उक्त चौकी में ही थाना चलाया जाने लगा. अधिवक्ता का कहना है कि ठीक चौराहे पर थाना बनाए जाने से यहां भीषण जाम की समस्या हमेशा रहती है. यही नहीं पुलिस द्वारा सीज की गई गाड़ियां तथा पुलिसकर्मियों की गाड़ियां भी थाने के बाहर खड़ी होती हैं. जिसकी वजह से आने जाने वाले लोगों को भारी दिक्कतों का समस्या करना पड़ता है. यह भी दलील दी गई कि जानकारी के मुताबिक बिजनौर थाने के लिए उक्त चौराहे से 500 मीटर दूर जमीन प्रस्तावित है, लेकिन चौराहे पर अतिक्रमण कर थाना चलाया जा रहा है.
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