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शहर-शहर खाकी पर हमले, क्या खत्म हो गया पुलिस का इकबाल!

उत्तर प्रदेश के आगरा में दो भाइयों के झगड़े को निपटाने के दौरान गोली का शिकार हुए दरोगा प्रशांत यादव शहीद हो गए. यह पहली बार नहीं है जब खाकी पर हमला हुआ हो. राज्य में ऐसी कई घटनाएं घटित हुई हैं जिनमें पुलिस कर्मियों पर हमला हुआ है. पिछले कुछ वर्षों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जहां पर पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया गया है.

आगरा से पहले भी हो चुके हैं पुलिस पर हमले
आगरा से पहले भी हो चुके हैं पुलिस पर हमले

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Published : Mar 25, 2021, 7:49 AM IST

Updated : Mar 25, 2021, 9:36 AM IST

लखनऊ: 2017 में जब सूबे में योगी सरकार बनी तो प्रदेश को अपराध मुक्त करने की बात कही थी. जिसके बाद पुलिस प्रसाशन ने बदमाशों पर नकेल कसना शुरु कर दिया था और प्रदेश में एनकाउंटर की संख्या बढ़ गई थी. पुलिस ने बदमाशों को सीधे चेतावनी दी थी कि या तो अपराध छोड़ दो या राज्य छोड़ दो. मगर इसी दौरान कई बार ऐसी घटनाएं भी हुईं, जहां पर पुलिस पर हमला किया गया या फिर भीड़ ने पुलिस को घेर लिया. इन घटनाओं से यूपी पुलिस के इकबाल पर भी सवाल उठता है. यूपी सरकार भले ही बदमाशों को एनकाउंटर में ढेर कर रही हो लेकिन कहीं न कहीं बदमाशों में पुलिस का खौफ खत्म हो रहा है. इस पर एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार का कहना है कि दरोगा के हत्यारों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्हें किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा.

कानपुर का बिकरू कांड

कानपुर का बिकरू गांव उस वक्त अचानक सुर्खियों में आ गया जब बदमाश को पकड़ने गई पुलिस टीम पर फायरिंग होने लगी. इस फायरिंग में DSP समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए और कुछ पुलिसकर्मी घायल भी हुए. 2 जुलाई 2020 की रात को घटी इस दर्दनाक वारदात से हर कोई स्तब्ध था. योगी राज में पुलिस पर हुए हमलों में ये अबतक की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है.


आगरा में भीड़ का पुलिस पर हमला

कोरोना के शुरुआती दौर में लगा लॉकडाऊन लोगों के जहन में अभी भी ताजा है. इससे बचाव के लिए शासन-प्रसाशन, सरकारी कोरोना गाईडलाईन के अनुरूप कार्य कर रहा था. इसी दौरान आगरा के शाहदरा में लॉकडाउन का पालन कराने गई पुलिस पर हमला हो जाता है. जिसके बाद तुरंत कार्रवाई करते हुए इस मामले में 24 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.

कौशांबी में दबिश देने गई पुलिस टीम पर जानलेवा हमला

उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में भी पुलिस पर जानलेवा हमला हुआ था. इस हमले में महिलाएं भी शामिल रहीं. दरअसर, आरोपी पर पुलिस दबिश देने गई थी. जहां पुलिस टीम पर जानलेवा हमला हुआ. फिलहाल, इस मामले में 9 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है.

बुलंदशहर हिंसा

साल था 2018. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में गोकशी की खबर को लेकर हड़कंप मच गया था. गोकशी की खबर सुनकर भीड़ बेकाबू हो गई थी. जिसके बाद स्याना कोतवाली के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार बेकाबू भीड़ को समझाने के लिए मौके पर पंहुचे. मगर हिंसा पर उतारू भीड़ से चली गोली में इंस्पेक्टर सुबोध शहीद हो गए. जिसके बाद इलाके में भारी हिंसा हुई थी. इस हिंसा में एक पुलिसकर्मी समेत दो लोगों की मौत हुई थी.


बुलंदशहर में ही हुआ था पुलिस पर हमला

इसके अलावा मार्च 2019 में भी पुलिस पर बुलंदशहर में हमले की खबर सामने आई थी. यहां पुलिस गैंगस्टर एक्ट में नामित दो बदमाशों को पकड़ने गई थी, लेकिन जब गांव में घुसी तो गांव वालों ने उनपर अटैक कर दिया. इस घटना में करीब आधा दर्जन पुलिसकर्मी घायल हुए थे. घटना बुलंदशहर के ताजपुर गांव की थी.

मथुरा का जवाहर बाग कांड

मथुरा में 2016 में जवाहर बाग कांड हुआ था. जहां, रामवृक्ष यादव और उसके समर्थकों ने करीब दो साल तक कब्जा जमाए रखा. इस कब्जाई जमीन को छुड़ाने पहुंची पुलिस के साथ मुठभेड़ हुई थी. जमीन खाली करवाने पहुंची पुलिस और समर्थकों के बीच काफी हिंसा हुई थी. इसमें पुलिस उपाधीक्षक मुकुल द्विवेदी के साथ कुल दो पुलिसकर्मी शहीद हुए थे.


मथुरा में लॉकडाउन में पुलिस पर हमला

कोरोना से बचाव के लिए सरकार ने लॉकडाउन जारी कर दिया था. हर शहर में लॉकडाउन जारी था. इसी बीच उत्तर प्रदेश के मथुरा में पुलिस पर हमला हुआ था. मार्च महीने में यहां पुलिस लॉकडाउन के दौरान जुआ खेल रहे कुछ लोगों को रोकने गई तो वहां मौजूद भीड़ ने पुलिस पर ही धावा बोल दिया. ग्रामीणों ने पुलिस पर लाठी-डंडों और पत्थरों से हमला किया था. जिसके बाद लॉकडाउन तोड़ने के आरोप में कई ग्रामीणों पर एक्शन भी लिया गया.

प्रतापगढ़ में पुलिस टीम पर हमला

मई के महीने में प्रतापगढ़ के दो गांव धूई और गोविंदपुर में कुछ ग्रामीणों के बीच मवेशी को लेकर विवाद हो गया था. विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों गांवों के लोग आमने-सामने आ गए. मामला बढ़ने पर स्थानीय पुलिस मसले को सुलझाने पहुंची. लेकिन इस दौरान लोगों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, घटना में चार-पांच पुलिसकर्मियों को चोट आई थी. बाद में पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था.

कासगंज कांड

अवैध शराब को लेकर योगी सरकार ने मुहिम छेड़ रखी है. जिसको लेकर शराब माफियाओं पर नकेल कसने के लिए लगातार कार्रवाई भी कर रही है. इसी क्रम में जिले के सिढ़पुरा थाना क्षेत्र स्थित नगला धीमर गांव में शराब माफिया पर नकेल कसने पहुंची पुलिस टीम पर हमला हुआ था. उस हमले से कानपुर के बिकरू कांड की याद ताजा हो गई थी. छापेमारी करने गए सिपाही और दारोगा पर शराब माफियाओं ने हमला करके बंधक बना लिया था. दरिंदों ने सिपाही और एक दारोगा की पिटाई बड़ी बेरहमी से की थी, जिसमें सिपाही देवेंद्र सिंह की मौत हो गई थी. इसके बाद एक्शन में आई उत्तर प्रदेश पुलिस ने पहले दरिंदा और मुख्य अभियुक्त मोती और उसका भाई एलकार एनकाउंटर में ढेर कर दिया था.

Last Updated : Mar 25, 2021, 9:36 AM IST

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