लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार (UP Government) ने प्रदेश में प्लास्टिक (Plastic) को पूरी तरह से प्रतिबंधित (banned) करने का काम किया था. प्लास्टिक को प्रतिबंधित किए हुए करीब तीन साल से अधिक का समय हो गया है, लेकिन राजधानी सहित अन्य शहरों में इसका उपयोग खुलेआम हो रहा है. प्लास्टिक के उपयोग और बिक्री को यूपी में अपराध भी घोषित किया जा चुका है, लेकिन अफसरों की लापरवाही और जागरूकता के अभाव में लोग इसे लगातार यूज कर रहे हैं. प्लास्टिक पर्यावरण के लिए भी काफी खतरनाक है, लेकिन लोग इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं.
राजधानी लखनऊ सहित अन्य बड़े शहरों में या अन्य नगर निकायों के स्तर पर प्लास्टिक को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है, लेकिन इसका धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है. अधिकारी इसके खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं. दावे किए जाते हैं कि कार्रवाई हो रही है, लेकिन यह नाकाफी साबित हो रही है. जब कभी सरकार की तरफ से सख्ती दिखाई जाती है तो बड़ी मात्रा में प्रतिबंधित प्लास्टिक जब्त करने की कार्रवाई होती है और बड़े पैमाने पर जुर्माना भी लगाया जाता है.
पर्यावरण के लिए काफी खतरनाक है प्लास्टिक
चौंकाने वाली बात यह है कि प्लास्टिक के उपयोग से पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंच रहा है और अधिकारी इसे पूरी तरह से प्रतिबंधित करने की दिशा में ठीक ढंग से प्रयास नहीं कर पा रहे हैं. पर्यावरण जानकारों के अनुसार प्लास्टिक के उपयोग से पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंच रहा है, इससे जमीन की उर्वरा शक्ति भी कम हो रही है, लेकिन इसे पूरी तरह से रोकने में सरकार और प्रशासनिक अधिकारी फेल ही नजर आ रहे हैं.
अफसरों का दावा, लगातार हो रही कार्रवाई
लखनऊ के अपर नगर आयुक्त अमित कुमार कहते हैं कि तीन साल पहले प्रदेश में प्लास्टिक को प्रतिबंधित किया गया था और प्लास्टिक और अन्य डिस्पोजल सामानों पर प्रतिबंध लगाया गया था. अमित कुमार दावा करते हैं कि लखनऊ नगर निगम प्रशासन के द्वारा करीब सवा करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है. निरंतर इसमें कार्रवाई की जा रही है. जहां जिस प्रकार की शिकायत आती है कि प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है या बिक्री हो रही है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है और जुर्माना वसूला जाता है.