उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

खुशखबरी! लखनऊ विश्वविद्यालय का प्लेनेटोरियम दोबारा होगा शुरू - सरस्वती सुपरक्लस्टर की खोज

लखनऊ विश्वविद्यालय ने बंद पड़े प्लेनेटोरियम को दोबारा संचालित करने के लिए देश के कई संस्थाओं से फंड के लिए आवेदन किया है. इसे फिर से खोले जाने की तैयारी हो रही है.

लविवि
लविवि

By

Published : Jun 25, 2023, 9:07 PM IST

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय काफी लंबे समय से बंद चल रहे अपने प्लेनेटोरियम को एक बार फिर से शुरू करने की तैयारी कर रहा है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसके लिए देश की गई संस्थाओं से फंड के लिए आवेदन किया है. एक बार प्लेनेटोरियम बन जाने के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेज के छात्र अब तारामंडल देखकर आकाशीय घटनाओं की जानकारी भी प्राप्त कर सकेंगे. विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्र की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 1949 में प्लेनेटोरियम का निर्माण हुआ था.

खगोलशास्त्र को भारत में पहली बार डिग्री में शामिलःउत्तर प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. सम्पूर्णानंद के साथ मिलकर प्रो. एएन सिंह ने खगोलशास्त्र को भारत में पहली बार बीएससी डिग्री में एक पूर्ण विषय के रूप में पेश किया था. इसके बाद प्लेनेटेरियम का निर्माण हुआ. इसी को अपग्रेड करने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय प्रस्ताव तैयार कर रहा है. साथ ही गोरखपुर की एक कंपनी की मदद से नई प्लेनेटेरियम प्रोजेक्टर मशीन भी लगाई जाएगी. इस बारे में कुलपति ने बताया कि खगोलशास्त्र में रुचि रखने वाले छात्रों को एक संवेदनशील अनुभव प्रदान करने के उद्देश्य से प्लेनेटोरियम के नवीनीकरण की योजना बनाई गई है. नवीनीकृत सुविधा के जरिए छात्रों को तारामंडल देखने, मौसमिक आकाशीय पैटर्न के बारे में सीखने और प्रोजेक्शन से आकाशीय घटनाओं की जानकारी प्राप्त करने का मौका मिलेगा.

वैज्ञानिक बने हैं एलयू के छात्रःलखनऊ विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्र के छात्र देश-विदेश में उच्च पदों पर काम कर रहे हैं. इनमें से एक छात्र डॉ. निशांत सिंह वर्तमान समय में आईयूसीएए में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तैनात हैं. वहीं, डॉ. एसपी ओझा और डॉ. मोहम्मद हसन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में वैज्ञानिक के रूप में मशहूर हुए हैं. डॉ. शशिर संख्यान ईस्टोनिया के तारतू आब्जर्वेटरी में कार्यरत हैं. इसके अलावा वह सरस्वती सुपरक्लस्टर की खोज से जुड़े हैं. जबकि डॉ. अविनाश चतुर्वेदी जर्मनी में उच्च स्तरीय अनुसंधान में काम कर रहे हैं. ये सभी पूर्व छात्र उन्नत शिक्षा के गवाह हैं. जो लखनऊ विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्र के कार्यक्रम में छात्रों को प्रदान की जाती है.

1949 में बना था प्लेनेटेरियमःलखनऊ विश्वविद्यालय के प्लेनेटेरियम का भारतीय खगोलशास्त्र के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है. 1949 में खगोलशास्त्र के शिक्षण को बढ़ावा देने के लिए इस अग्रणी प्लेनेटेरियम का निर्माण पूरा हुआ था. प्लेनेटेरियम के डोम का साइज 8 मीटर और इसमें 96 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता है. खगोलशास्त्र विभाग के फैकल्टी डॉ. अलका मिश्रा ने कहा कि प्लेनेटेरियम छात्रों के लिए ब्रह्मांड के चमत्कारों की खोज करने के लिए एक केंद्रीय बिंदु के रूप में काम करेगा.

यह भी पढ़ें- मुंबई से कानपुर जा रहे विमान को लखनऊ एयरपोर्ट पर उतारा गया, जानिए वजह

ABOUT THE AUTHOR

...view details