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मौत के 22 साल बाद यूपी की राजनीति में 'जिंदा' हो गईं फूलन देवी, निषाद पार्टी ने सरकार से रखी पांच डिमांड

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए राजनीतिक दलों ने अपनी अपनी सियासी चौसर बिछानी शुरू कर दी है. उत्तर प्रदेश में निषाद जाति के बूते राजनीति में सक्रिय निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने फूलन देवी को याद करते हुए सरकार के समक्ष कई मांगें रखी हैं.

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Published : Jul 25, 2023, 5:54 PM IST

लखनऊ : मौत के 22 वर्ष बाद फूलन देवी अचानक जिंदा हो गई हैं, वजह अगले वर्ष लोकसभा चुनाव है और उत्तर प्रदेश में निषाद जाति में फूलन देवी का अपना ही महत्व है. ऐसे में मंगलवार को फूलनदेवी की पुण्य तिथि के मौके पर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री व निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने फूलन देवी को याद करते हुए उनकी संपत्ति पर हुए अवैध कब्जों को हटा कर उनकी माता को सौंपने के लिए पीएम, गृह मंत्री और सीएम योगी आदित्यनाथ को ज्ञापन दिया गया.

फूलन देवी.


कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने मंगलवार को अपनी निषाद पार्टी को फूलन देवी के पदचिन्हों पर चलने वाली पार्टी बताते हुए कहा कि पूर्व सांसद फूलन देवी मछुआ समाज ही नहीं विश्व की महिलाओं के लिए आदर्श रही हैं. उन्होंने समाज को जागरूक करने के लिए अन्याय खिलाफ मोर्चा खोला था. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी पोषित माफिया से फूलन देवी की सम्पत्ति को मुक्त करवाकर उनकी माता के नाम किए जाने के लिए हर जिले में पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए ज्ञापन दिया जा रहा है.

यूपी की राजनीति.

संजय निषाद ने कहा उनकी मांग है कि फूलन देवी की समाजवादी पार्टी पोषित माफिया से सम्पत्ति को मुक्त करवाकर उनकी माता के नाम की जाए. उनकी माता को सांसद की माता होने का अधिकार मिले. फूलन देवी की हत्या की सीबीआई जांच हो. फूलन देवी के नाम पर महिलाओं के सेल्फ डिफेंस सेंटर खोले जाएं और उनके गांव को आदर्श गांव के तौर पर विकसित किया जाए.




दरअसल, फूलन देवी की अचानक याद बीते विधानसभा चुनाव में जम कर की गई थी. जब बिहार के तत्कालीन मंत्री और विकासशील इंसान पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहानी ने फूलन देवी जयंती को धूम धाम से मानने और उनकी हर विधानसभा में मूर्ति लगाने का ऐलान किया था. मुकेश सहानी के अचानक फूलन देवी का सहारा लेकर यूपी में हलचल मचा दी थी. जिसे देख निषाद पार्टी सुप्रीमो संजय निषाद भी फूलन देवी का सहारा लेते हुए उन्हें वीरांगना की उपाधि देकर पूरे राज्य में फूलन देवी के नाम का इस्तेमाल किया था. अब जब एक बार फिर लोक सभा सामने है तो मछुआ समाज को लुभाने के लिए फूलन देवी को जिंदा किया गया है.


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