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इस गांव में आज भी होती है तीतर की लड़ाई, प्रशासन है चुप - तीतर की लड़ाई

लखनऊ में एक गांव ऐसा है, जहां आज भी तीतर की लड़ाई होती है. सरकार की तरफ से पशु-पक्षियों की लड़ाई पर है प्रतिबंध है, लेकिन इस गांव में हर महीने तीतर की लड़ाई होती है. यहां पर ढाई सौ रुपये से लेकर ढाई लाख तक बोली भी लगती है.

तीतर की लड़ाई
तीतर की लड़ाई

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Published : Jan 10, 2021, 7:10 PM IST

लखनऊः सरकार की तरफ से तीतर की लड़ाई पर पूरी तरह से प्रतिबंध है, लेकिन आज भी चोरी छुपे तीतर की लड़ाई करवाई जाती है. ऐसा ही एक मामला राजधानी लखनऊ के निगोहा थाना क्षेत्र से निकल कर सामने आया है, जहां पर एक गांव में तीतर की लड़ाई करवाई जा रही है.

तीतर की लड़ाई.

पशु-पक्षियों की लड़ाई पर है प्रतिबंध
पशु-पक्षियों की सुरक्षा के मद्देनजर सरकार ने तीतर कबूतर आदि किसी भी जानवरों की लड़ाई पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन आज यह लड़ाई ग्रामीण क्षेत्रों में चोरी छुपे हो रही है. दूर-दूर से लोग इस लड़ाई का खेल देखने आते हैं. बोलियां लगती हैं, सट्टा लगाया जाता है और स्थानीय प्रशासन सब जानते हुए भी मूक बना रहता है.

कैमरे पर बोलने को राजी नहीं
मामला राजधानी लखनऊ के निगोहा थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गणेशी खेड़ा गांव का है, जहां चोरी छुपे बगीचे के बीच तीतर की लड़ाई करवाई जा रही है. हजारों की संख्या में लोग भी इस लड़ाई को देखने और सट्टा लगाने के लिए आते हैं. लोगों से जब हमने बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कैमरे पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया.

ढाई लाख तक की लगती है बोली
जानकारी के अनुसार इस तीतर की लड़ाई में 250 रुपये से लेकर ढाई लाख रुपये तक की बोली लगाई जाती है. वहीं लोगों का कहना है कि अमूमन यह तीतर की लड़ाई हर हफ्ते करवाई जाती थी, लेकिन कोरोना की वजह से महीने में एक बार यह लड़ाई करवाई जा रही है. वहीं इस तीतर की लड़ाई के खेल के विषय में जब हमने राजधानी लखनऊ के एसपी ग्रामीण हृदेश कुमार से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.

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