लखनऊ: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ के मेडिसिन विभाग में एपीआई लखनऊ चैप्टर व इंडियन कॉलेज ऑफ फिजिशियन के सहयोग से 6 और 7 मई को पीजी मेडिसिन अपडेट का आयोजन किया जा रहा है.
इसमें केजीएयू के विश्व प्रसिद्ध प्रवक्ता व उत्तर प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेजों के चिकित्सक अपने व्याख्यान देंगे. यह अपडेट मुख्य रूप से मेडिसिन विभाग के परास्नातक छात्रों के लिए आयोजित किया जा रहा है. इसमें लगभग 200 से 300 सामान्य चिकित्सक व विश्वविद्यालय के दूसरे विभागों के संकाय सदस्य प्रतिभाग लेंगे. इस प्रकार की शैक्षणिक गतिविवि मेडिसिन विभाग की ओर से पहली बार आयोजित की जा रही है.
इसमें हृदय रोग, रक्त विकार, पेट संबंधी रोग, गुर्दा रोग, क्रिटिकल केयर मेडिसिन, जोड़ संबंधी रोग, तंत्रिका तंत्र संबंधी रोग और अंत श्रावी रोगों से संबंधित बीमारियों और इनके चिकित्सा क्षेत्र में आए हुए नवीनतम बदलाव के विषय में विस्तारपूर्वक परिचर्चा होगी. परास्नातक छात्रों की परीक्षा की तैयारी के लिए व्याख्यान और प्रश्नोत्तरी परीक्षा का आयोजन किया जाएगा. इस आयोजन के मुख्य आयोजक प्रो. वीरेन्द्र आतम विभागाध्यक्ष मेडिसिन विभाग एवं सह आयोजक डॉ. मेधावी गौतम एसोसिएट प्रोफेसर मेडिसिन विभाग होंगे.
सांस लेने में दिक्कत हो तो जरूर मिलें विशेषज्ञ से
अगर आपके सीने में जकड़न और सांस लेने में समस्या हो रही है तो तुरंत अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें. अस्थमा की शुरुआत सीने में दर्द, जकड़न और सांस लेने में समस्या से होती है. अस्थमा एक सांस की बीमारी है, जो वायुमार्ग को प्रभावित करती है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है. इससे घरघराहट, खांसी, सीन में जकड़न और सांस लेने में तकलीफ होती है. अस्थमा एक आम बीमारी है, जो दुनिया भर में अनुमानित 34 करोड़ लोगों को प्रभावित करती है. यह बीमारी मुख्य रूप से छोटे उम्र के बच्चों में पाई जाती है. अस्थमा का प्रसार हाल के वर्षों में लगातार बढ़ रहा है. यह बातें मंगलवार को केजीएमयू के पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने अस्थमा पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहीं.
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डॉ. वेद ने कहा कि अस्थमा से हर वर्ष अनुमानित रूप से 2.5 लाख लोगों की मृत्यु होती है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अस्थमा अधिक पाया जाता है. अस्थमा मुख्य रूप से बच्चों में होता है और दुनिया भर में अनुमानित 14 प्रतिशत बच्चे इस बीमारी से प्रभावित हैं. हर वर्ष अस्थमा के चलते कई बच्चों का स्कूल छूटना है. अस्थमा की बीमारी से पड़ने वाला आर्थिक बोझ बहुत महत्वपूर्ण है. वर्ष 2021 में एक अनुमान के हिसाब से पूरे विश्व में लगभग 6 लाख करोड़ रुपये अस्थमा की बीमारी से निपटने के लिए खर्च हुए.
उन्होंने बताया कि ग्लोबल अस्थमा रिपोर्ट 2018 के अनुसार, लगभग 6.2 प्रतिशत भारतीय (लगभग 74 मिलियन लोग) अस्थमा से प्रभावित हैं. इसमें लगभग 2-3 प्रतिशत बच्चे प्रभावित हैं. भारत में नॉन इन्फेक्टिव कारणों से होने वाली सभी मृत्यु का 10 प्रतिशत हिस्सा अस्थमा की वजह से होता है. भारत में अस्थमा का प्रसार बढ़ने के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार है. एक अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अस्थमा से पीड़ित केवल पांच प्रतिशत लोगों का सही निदान और उपचार किया जाता है. अस्थमा के बारे में जागरूकता बढ़ाने और बेहतर अस्थमा नियंत्रण के लिए मई के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है. ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा (GINA) ने 2023 विश्व अस्थमा दिवस के लिए थीम के रूप में 'अस्थमा केयर फॉर ऑल' को चुना है. अस्थमा केयर फॉर ऑल संदेश दिया है.
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