लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रमुख सचिव एसपी गोयल व विशेष सचिव सुब्रत शुक्ला पर पेट्रोल पम्प लगाने के लिए कम पड़ रही जमीन को बगल में स्थित ग्रामसभा की जमीन से बदलने के एवज में 25 लाख की घूस मांगने का निराधार आरोप लगाने पर एक उद्यमी को आड़े हाथों लिया है. पीठ ने कहा है कि वह ऐसे आचरण की भर्त्सना करता है और उद्यमी को भविष्य में ऐसे फिजूल का आरोप किसी पर नहीं लगाने की चेतावनी भी देता है. पीठ ने कहा है कि जिस प्रकार सरकार के इन दोनों अफसरों पर आरोप लगाए गए हैं, उन पर वह अपनी नाखुशी जाहिर करता है.
जस्टिस रितुराज अवस्थी एवं जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने यह तल्ख टिप्पणी हरदोई के युवा उद्यमी अभिषेक गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने आदेश में किया है. पीठ के समक्ष इस याचिका पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई हुई. याचिका में उद्यमी ने आरोप लगाया था कि जमीन को बदलने के लिए आदेश पारित करने के एवज में इन दोनों अफसरों ने उससे 25 लाख की घूस मांगी थी. याचिका में आठ जून 2018 व एक अप्रैल 2019 के उन दो आदेशों को भी चुनौती दी गई थी, जिसके तहत राज्य सरकार ने याचिकाकर्ता की जमीन को बदलने के अनुरोध को नामंजूर कर दिया था. जबकि ग्रामसभा व जिला प्रशासन, हरदोई ने इसकी इजाजत दी थी.
पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान आरोपों का विरोध करते हुए इन दोनों अफसरों के वकील वीके शाही ने कहा कि याचिकाकर्ता के सारे आरोप बेबुनियाद हैं. उसके पास अपनी बात के पक्ष में कोई तथ्य नहीं है. वर्ष 2019 में दाखिल इस याचिका पर कई बार सुनवाई हुई थी. पीठ के समक्ष 24 जून, 2021 को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अभिषेक गुप्ता हाजिर हुए. कहा कि वह याचिका में दोनों अफसरों पर लगाए गए आरोपों को वापस लेते हैं. वह सिर्फ इतना चाहते हैं कि उनका मुकदमा कानूनी बिन्दूओं पर तय कर दिया जाए.