लखनऊ:विदेशी कोयला की खरीद कराने में नाकाम केंद्र सरकार के दबाव में उत्तर प्रदेश में 2.5 करोड स्मार्ट प्रीपेड मीटर निकाले गए. जिसकी कुल लागत लगभग 25000 करोड है. इसके विरोध में यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में याचिका दाखिल की है. अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह व सदस्य वीके श्रीवास्तव से मुलाकात कर पूरे मुद्दे पर चर्चा की.
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि वर्ष 2022 -23 के टैरिफ ऑर्डर में विद्युत नियामक आयोग द्वारा रेवम्प योजना की इस स्कीम को इसलिए खारिज कर दिया गया था. क्योंकि इसका अप्रूवल विद्युत नियामक आयोग से नहीं लिया गया था. अब ऐसे में बिना अप्रूवल के केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के दबाव में स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर जारी करना रेगुलेटरी प्रोसेस की बड़ी अनदेखी है. उपभोक्ता परिषद ने कहा देश के कुछ निजी घराने उपभोक्ताओं के घर में लगे मीटर रूपी तराजू पर अपना कब्जा करके निजीकरण के दिशा में आगे बढ रहे हैं.
इसीलिए केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय से दबाव डालकर उत्तर प्रदेश में निकाले गए पूर्व में 4 जी स्मार्ट प्रीपेड मीटर के आठ कलस्टर के टेंडर को निरस्त कराकर चार कलस्टर में जारी कराया गया. वर्तमान में जिसकी लागत लगभग रुपया 6000 -7000 करोड अलग-अलग कलस्टर की आंकलित की गई है. अब देश के कुछ निजी घराने टेंडर को हथिया कर मीटर निर्माता कंपनियों को लाभ कमा कर सबलेट करते हुए उनसे मीटर की खरीद करेंगे और खुद बडा फायदा कमाएंगे.
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा जब पूर्व में 12 लाख स्मार्ट मीटर की तकनीकी को नहीं बदला गया. ऐसे में भविष्य में जब कोई तकनीकी में बदलाव आएगा तो दोबारा यह सभी अरबों करोड के मीटर कूड़ा हो जाएंगे. इसलिए अबिलम्ब विद्युत नियामक आयोग पूरे मामले पर हस्तक्षेप करें. पहले बिजली कंपनियां इस कानून पर काम करती थीं कि मीटर के टेंडर में मीटर निर्माता भाग लें लेकिन अब मूल मीटर निर्माता हजारों करोड के टेंडर में भाग नहीं ले पाएंगे.