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कमीशनखोरी के ऑडियो पर जागा नगर निगम, 28 दिन बाद नगर आयुक्त के निजी सचिव ने दी तहरीर - personal secretary of municipal corporation

ठेके के बदले मोटा कमीशन वसूलने वाले वायरल ऑडियो में लखनऊ नगर निगम के नगर आयुक्त पर लगे आरोपों के मामले में 28 दिन बाद नगर निगम प्रशासन जागा है. नगर आयुक्त के निजी सचिव राजकुमार वर्मा ने गुरुवार को हजरतगंज कोतवाली में तहरीर देकर मामले की जांच की मांग की है.

लखनऊ नगर निगम
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Published : Aug 19, 2021, 3:27 PM IST

लखनऊ:लखनऊ नगर निगम के नगर आयुक्त पर लगे कमीशन खोरी के आरोपों के मामले में 28 दिन बाद नगर निगम प्रशासन जागा है. नगर आयुक्त के निजी सचिव राजकुमार वर्मा ने गुरुवार को हजरतगंज कोतवाली में तहरीर देकर मामले की जांच की मांग की है. ACP हजरतगंज राघवेंद्र मिश्र का कहना है कि, तहरीर मिली है, मामले की जांच की जा रही है. ठेकेदार और अफसर के बीच में कमीशनखोरी की बातचीत के ऑडियो की जांच की जा रही है.



बता दें कि, बीते 24 जुलाई को नगर निगम का एक ऑडियो वायरल हुआ था. इसमें नगर निगम का एक अफसर ठेकेदार से बात कर रहा है, जिसमें एक एनजीओ को काम देने की बात हो रही थी और उसके बदले मोटे कमीशन की डील की जा रही थी. नगर निगम के अधिकारी ने ही बातचीत के दौरान कमीशन में नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी के हिस्सेदारी की बात कही थी. ऑडियो में बात करने वाला अफसर बार-बार नगर आयुक्त का नाम ले रहा था. ऑडियो वायरल होने के बाद नगर निगम में हड़कंप मच गया था. मामला मीडिया में भी सुर्खियों में रहा. इसके बाद नगर आयुक्त भी सवालों के घेरे में आ गए थे. फिलहाल, नगर आयुक्त ने उस समय ऑडियो को फर्जी बताकर किनारा कर लिया था, लेकिन इसे लेकर नगर निगम से लेकर सत्ता के गलियारे में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया. शासन ने मामले को गम्भीरता से लेते हुए भी नगर आयुक्त से जवाब मांग कर स्पष्टीकरण तलब लिया.

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जांच में साफ होगा मामलाACP हजरतगंज राघवेंद्र मिश्रा का कहना है कि, ऑडियो की जांच कराई जा रही है. ऑडियो में किसकी आवाज है इसकी गंभीरता से पड़ताल की जा रही है. नगर निगम के कुछ कर्मचारियों और ठेकेदार से पूछताछ भी की गई है. जांच कर कार्रवाई की जाएगी. वहीं, नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी ने अपने निजी सचिव ने तहरीर में नगर निगम की छवि को धूमिल करने के लिए जानबूझ कर यह ऑडियो बनाने का आरोप लगाया है. दरअसल, पुलिस की रिपोर्ट में ऑडियो फर्जी साबित होने के बाद ही नगर आयुक्त कार्रवाई से बच सकते हैं.

चर्चा इस बात की है कि नगर आयुक्त ने खुद को बचाने के लिए पुलिस को तहरीर दी है. क्योंकि, अगर ऑडियो सही निकला तो फंसने की संभावना ज्यादा है. सूत्रों का कहना है कि इसीलिए अबतक रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई, ताकि तहरीर के आधार पर नगर आयुक्त शासन को अपना स्पष्टीकरण भेजकर गर्दन बचा सके.

भ्रष्टाचार की पहले भी हो चुकी शिकायत

नगर निगम लखनऊ में भ्रष्टाचार के आरोप पहले भी खूब लगते रहे हैं. इसमें पार्षद कई बार सदन में बवाल काट चुके हैं. यही नहीं, खुद मेयर संयुक्ता भाटिया पिछले साल यहां होने वाले कामों की जांच के लिए कई बार शासन को पत्र लिख चुकी हैं. इससे पूर्व नगर निगम में आरआर विभाग से लेकर डिफेंस एक्सपो में लाखों रुपए की लगी लाइटों में भ्रष्टाचार का आरोप लगा था. दबी जुबान में कुछ पार्षद बताते हैं कि कोई भी भुगतान नगर निगम में 8 से 12 फीसदी तक भुगतान किए बिना नहीं होता है. यह पैसा आपस में बंटता है. हालांकि इसको लेकर कोई साक्ष्य नहीं दे पाता है.

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