लखनऊ: कोरोना का असर चुनाव में भी दिखने लगा है. चुनाव आयोग के डिजिटली प्रचार पर जोर देने के बाद सभी पार्टियां माइक, माला और शोर-शराबे से दूर सोशल मीडिया के जरिए जंग जीतने की जुगत में हैं. लेकिन चुनाव आयोग ने निर्देश दिया है कि पूरे प्रदेश में वीडियो वैन के माध्यम से प्रचार-प्रसार के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी उप्र से अनुमति प्राप्त करनी होगी. उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. ब्रह्मदेव राम तिवारी ने बताया कि जिला निर्वाचन अधिकारियों को इस संबंध में विस्तृत निर्देश जारी किये गये हैं.
चुनावी खर्चे में जोड़ा जाएगा
जनपद अथवा विधानसभा स्तर पर वीडियो वैन के माध्यम से प्रचार-प्रसार की अनुमति जिला निर्वाचन अधिकारी से प्राप्त की जा सकती है. इस स्थिति में नोडल अधिकारी परिवहन द्वारा मुख्य निर्वाचन अधिकारी को इस आशय का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा कि वीडियो वैन मोटर वाहन अधिनियम के अनुरूप है. अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि वीडियो वैन पर चुनाव प्रचार की सामग्री एमसीएमसी से प्रमाणित करानी होगी. राजनैतिक दलों द्वारा वीडियो वैन का उपयोग वोट मांगने के लिए, अपने कार्यक्रमों एवं नीतियों के प्रचार हेतु ही किया जायेगा. किसी विशेष उम्मीदवार के लिए वोट या समर्थन के लिए वीडियो वैन का इस्तेमाल नहीं किया जायेगा. प्रचार के लिए इस्तेमाल की जा सकने वाली वीडियो वैन की संख्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन वीडियो वैन पर होने वाले खर्च को पार्टी के चुनावी खर्च में सम्मिलित किया जायेगा, जिसे चुनाव के उपरान्त भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष प्रस्तुत करना होगा.
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रात 8 बजे तक ही कर पाएंगे प्रचार
अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि प्रचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वीडियो वैन के रूट की सूचना स्थानीय प्रशासन एवं जिला निर्वाचन अधिकारी को पहले ही देनी होगी. ऐसा न करने की स्थिति में मुख्य निर्वाचन अधिकारी, जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा नोटिस देकर वीडियो वैन की अनुमति वापस ली जा सकती है. वीडियो वैन का उपयोग रैली अथवा रोड शो के लिए नहीं किया जायेगा. वीडियो वैन का संचालन सुबह 8 बजे से रात 8 बजे के बीच ही किया जायेगा. कोविड महामारी को देखते हुए वीडियो वैन को रोकने के लिए खुले स्थानों को व्यूइंग प्वाइंट के रूप में चिन्हित करने का दायित्व जिला निर्वाचन अधिकारी का होगा. भीड़-भाड़ अथवा बाजार में वीडियो वैन का संचालन नहीं किया जायेगा.