लखनऊ : प्रदेश की राजधानी सियासत का गढ़ मानी जाती है. यहां आये दिन नेताओं का आना जाना लगा रहता है. इसके बावजूद भी पिछले कई दशकों से लोग अपनी जान जोखिम में डालकर लकड़ी के खस्ताहाल पुल से गुजरने को मजबूर हैं. इसके चलते कई बड़े हादसे भी हो चुके है. लोगों का कहना है कि नेताओं ने पुल बनबाने के तमाम वादे किए लेकिन हालात में कोई सुधार नहीं हुआ.
बेसुध सरकार : जान जोखिम में डालकर गोमती नदी पार करते हैं लोग
लखनऊ में लोग हर रोज अपनी जान जोखिम में डालकर लकड़ी के पुल से नदी पार करते हैं. लोगों का कहना है कि नेता पक्का पुल बनवाने के वादे तो करते है लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई उनकी सुध नहीं लेता.
जान जोखिम में डालने को मजबूर
जान जोखिम में डालने को मजबूर
- राजधानी में लोग हर रोज अपनी जान जोखिम में डालकर लकड़ी के पुल से नदी पार करने को मजबूर हैं.
- लोगों का कहना है कि चुनावी मौसम आते ही यहां नेताओं का तांता लग जाता है.
- नेता पक्का पुल बनवाने के तमाम वादे भी करते हैं.
- चुनाव जीतने के बाद इस इलाके में बाद दिखते भी नहीं हैं.
- स्थानीय लोगों की का कहना है कि अब तक दर्जनों लोग लकड़ी के पुल की वजह से अपनी जान गवा चुके हैं.
- लेकिन किसी को हमारी कोई परवाह नहीं.
इलाके के लोगों का कहना है कि बारिश में यह पुल हटा लिया जाता है और तब नदी पार करने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है. लेकिन प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है.
मो. बसीम, स्थानीय