लखनऊःसीएम योगी आदित्यनाथ ने आम जनता की सुनवाई के लिए सीएम हेल्पलाइन 1076 और जनसुनवाई पोर्टल का विकल्प दे रखा है, लेकिन हेल्पलाइन में मौजूद कर्मचारियों की बहानेबाजी लोगों को परेशानी हो रही है. जनता की शिकायत दर्ज करने के बजाय तकनीकी खामियां गिनाकर बरगलाया जा रहा है. कई-कई बार फोन करने पर भी शिकायतकर्ता की शिकायत दर्ज नहीं की जा रही है. ऐसे में समाधान की उम्मीद भला कैसे की जा सकती है. सही मायने में सीएम हेल्पलाइन जनता की नजर में हेल्पलेस साबित हो रही है.
फोन करते वक्त होती है उम्मीद, रखते ही हो जाती है धूमिल
वर्तमान में कोविड से प्रदेश में बुरा दौर चल रहा है. लोग घरों से निकलने में परहेज कर रहे हैं. सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करने से कतरा रहे हैं. सप्ताह के अंत में सरकार ने तीन दिन का लॉकडाउन भी लगा रखा है. ऐसे में इसकी मार सीधे तौर पर प्राइवेट टैक्सी चलाने वाले चालकों पर पड़ रही है. कोरोना के चलते उनकी आय का जरिया तो खत्म ही हो रहा है, परिवहन विभाग टैक्स की वसूली के साथ ही पेनाल्टी वसूलने में भी परहेज नहीं कर रहा. परिवहन विभाग में कहीं कोई सुनवाई न होने पर ओला ऊबर टैक्सी एसोसिएशन के अध्यक्ष आरके पांडेय ने सीएम हेल्पलाइन से ही उम्मीद लगा रखी थी. उन्हें पूरा भरोसा था कि सीएम हेल्पलाइन से जरूर हेल्प मिलेगी और रोजी-रोटी के लिए भटक रहे टैक्सी चालकों को राहत मिल जाएगी, लेकिन सीएम हेल्पलाइन पर फोन करने के बाद मिले रिस्पांस से उनकी उम्मीद पूरी तरह धूमिल हो गई.
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