लखनऊ: इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार साल का पहला महीना मुहर्रम होता है. मोहर्रम के आगाज के साथ ही नए साल की शुरुआत होती है. मोहर्रम महीने के दसवें दिन 'आशूरा' होता है और इस दिन मोहर्रम का गम मनाने के साथ घरों में रखे ताजिये को कर्बला में दफन किया जाता है. हालांकि सरकार की गाइडलाइन के अनुसार इस साल भी ताजिया नहीं निकाला जाएगा. 11 अगस्त से मोहर्रम का आगाज हुआ था जिसके बाद आज यानि 20 अगस्त को आशूरा मनाया जाएगा. जानिए 1400 साल पहले आखिर क्या हुआ था जो इस दिन हर वर्ष मातम, मजलिस कर गम मनाया जाता है.
क्या है इतिहास
इस्लामिक मामलों की जानकर और इतिहासकार सनोबर हैदर बताती हैं कि 1400 साल से भी ज्यादा वक्त पहले लड़ी गई कर्बला की जंग को मोहर्रम के दिनों में याद किया जाता है. यह जंग पैगम्बर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और जालिम बादशाह यजीद के बीच लड़ी गई थी.
यह एक आम जंग नहीं बल्कि हक और बातिल, जुल्म और इंसाफ, सही और गलत के बीच की जंग थी. वर्षों पहले इस जंग को इमाम हुसैन ने अपने 72 साथियों के साथ लड़ा था और जुल्म के आगे सिर झुकाने से मना कर दिया था.
सनोबर कहती है कि कर्बला की इस जंग से हम सबको यह प्रेरणा मिलती है कि जुल्म कितना भी हो लेकिन हक के लिए लड़ना चाहिए. शहीद हुए इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत को याद किया जाता है और उसी अकीदे के साथ मोहर्रम मनाया जाता है.
मोहर्रम के महीने का आगाज होते ही घरों से 'या हुसैन' की आवाजें गूंजने लगती हैं. महिलाएं घरों में मातम करती हैं. वहीं, इमामबाड़ों और दूसरी जगहों पर मजलिसें होतीं हैं. घरों में इमामबाड़ा बनाया जाता है.
सनोबर हैदर के अनुसार इतिहास में यह जंग बाकी जंगों से अलग है. यह जंग इंसानियत के लिए लड़ी गई थी जबकि दूसरी जंगें युद्ध शासन और कब्जे के लिए लड़ी जातीं रही हैं. इमाम हुसैन एयर उनके परिवार के साथ साथियों की कुर्बानी को हम लोग हर वर्ष मोहर्रम के जरिए याद करते हैं. सिर्फ शिया ही नहीं बल्कि सभी मुसलमान भाई-बहन इस दिन गम मनाते हैं.
जानकारी देती इतिहासकार सनोबर हैदर शासन के इन नियमों का करना होगा पालन
- मोहर्रम पर कोरोना महामारी संक्रमण के दृष्टिगत किसी प्रकार के जुलूस / ताजिया की अनुमति न दी जाए एवं धर्म गुरुओं से संवाद स्थापित कर कोविड -19 महामारी के रोकथाम हेतु दिए गए निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाएगा.
- सार्वजनिक रूप से ताजिया एवं अलम स्थापित नहीं किए जाएंगे. ताजिया एवं अलम की स्थापना अपने-अपने घरों में किए जाने पर किसी प्रकार की रोक नहीं होगी.
- संवेदनशील / साम्प्रदायिक एवं कन्टेनमेन्ट जोन में पर्याप्त संख्या में पुलिस बल की तैनाती की जाएगी.
- किसी भी धार्मिक स्थल पर लोगों की भीड़ एकत्र न होने पाए.
- त्योहारों पर सार्वजनिक स्थल यथा बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन और संवेदनशील स्थान / धार्मिक स्थल पर यथावश्यक व्यवस्थाएं / चेकिंग कराई जाए.
- सघन जांच एवं तलाशी की व्यवस्था के लिए स्वान-दल, आतंकवादी निरोधक दस्ता एवं बम निरोधक दल की तैनाती सुनिश्चित की जाए.
- यह भी सुनिश्चित किया जाए कि यातायात कदापि बाधित न हो एवं बैरियर एवं पुलिस चेक पोस्ट लगाकर संदिग्ध वाहनो की चेकिंग कराई जाए. मोटर वाहन अधिनियम के नियमों का पालन सख्ती से किया जाए.
- जन सुविधाएं यथा बिजली, पेयजल एवं साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाए.
- आकस्मिकता के दृष्टिगत सभी सरकारी अस्पतालों को तैयारी हालत में रखा जाए एवं डॉक्टर तथा पैरा-मेडिकल स्टॉफ की ड्यूटी राउंड द क्लॉक लगायी जाए.
- आसामाजिक तत्वों एवं अफवाह फैलाने वालों पर विशेष ध्यान दिया जाए.
- धारा -144 लगाते हुए कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए.
- सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी दशा में शस्त्रों का प्रदर्शन न हो एवं अवैध शस्त्रों को लेकर चलने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए.
- जिन - जिन स्थानों पर किसी प्रकार का विवाद परिलक्षित हुआ हो. वहां पुलिस एवं राजस्व विभाग के राजपत्रित अधिकारियों द्वारा स्थिति का अध्ययन कर लिया जाय एवं विवाद को सुलझाने तथा संवेदनशीलता को दूर करने की कार्रवाई सुनिश्चित की जाए.
- थाने पर उपलब्ध त्यौहार रजिस्टर तथा रजिस्टर नं.-8 में उपलब्ध प्रविष्टियों का अध्ययन कर लिया जाय तथा जुलूस के नये रास्ते / नई परम्परा की अनुमति कदापि न दी जाय.
- असामाजिक / सांप्रदायिक तत्वों की सूचियों को अद्यावधिक किया जाय और तदनुसार आवश्यकता पड़ने पर इन साम्प्रदायिक एवं अवांछनीय तत्वों के खिलाफ कड़ी निरोधात्मक कार्रवाई की जाए.
- आवश्यकतानुसार विभिन्न विवाद के स्थलों, मार्गों का भ्रमण जिलाधिकारी पुलिस अधीक्षक / उप जिलाधिकारी / क्षेत्राधिकारी द्वारा भी कर लिया जाए.