लखनऊ :आकाश में बादलों के बीच जब तकरार होती है तो विद्युत आवेश या इलेक्ट्रोस्टेटिक चार्ज निकलता है. इसे आम बोलचाल की भाषा में आकाशीय बिजली कहते हैं. बीते रविवार को आकाशीय बिजली ने प्रदेश में कोहराम मचा दिया.
अब वैज्ञानिकों का कहना है कि आसमानी बिजली (Thunderstorm) से डीप बर्न होने से टिशू डैमेज हो जाते हैं. उनको आसानी से ठीक नहीं किया जा सकता. बिजली का असर नर्वस सिस्टम पर भी पड़ता है. हार्ट अटैक होने से व्यक्ति की मौत हो जाती है. इसके असर से शारीरिक अपंगता का खतरा भी रहता है.
गौरतलब है कि प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कुल 41 लोगों की मौत हो चुकी है. कानपुर मंडल में 18, प्रयागराज में 13, कौशांबी में 4, प्रतापगढ़ में 1, आगरा में 3 और वाराणसी व रायबरेली जिले में 1-1 व्यक्ति की जान चली गई. जबकि 30 से ज्यादा लोग झुलस गए थे.
क्या होता है आकशीय बिजली
इंदिरा गांधी नक्षत्र शाला के साइंटिस्ट ऑफिसर सुमित श्रीवास्तव ने बताया कि आकाशीय बिजली वायुमंडल में विद्युत आवेश का डिस्चार्ज होना या एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानान्तरण होने व उससे उत्पन्न कड़कड़ाहट को आकाशीय बिजली कहते हैं.
आसान भाषा में कहें तो दो बादलों के बीच में होने वाले टकराव को अकाशी बिजली कहते हैं जिसके टकराने से विद्युत आवेश निकलता है. वह जीव-जंतु और मानव के लिए काफी ज्यादा खतरनाक होता है. दुनिया में हर वर्ष लगभग 2 करोड़ 60 लाख किलोवाट आकाशीय बिजली पैदा होती हैं.
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मानव शरीर पर अधिक पड़ता है असर