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ड्रिंक एंड ड्राइव में रोजाना जा रही लोगों की जान, फिर भी UP POLICE शराब की दुकानों के बाहर नहीं करती चालान

ड्रिंक एंड ड्राइव कानून के मामले में पुलिस पब्लिक के साथ दोहरा रवैया अपनाती है. ऐसा हम नहीं पुलिस के आंकड़े और कार्यशैली दोनों से ही स्पष्ट होता है. ड्रंक एन ड्राइव केस में तगड़े दंड का प्रावधान है, लेकिन शराब की दुकानों और बार के सामने पकड़े जाने पर काफी सहूलियत मिलती है. जानिए क्यों....

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 14, 2023, 1:46 PM IST

लखनऊ : राजधानी की पुलिस ने बीते एक वर्ष में महज 15 दिन अभियान चलाया और ड्रिंक एंड ड्राइव केस में चालान किए. बाकी दिनों पुलिस को शायद यह लगा कि शहर की सड़कों पर कोई भी शराब पीकर गाड़ी नहीं चलाता है. हालांकि राजधानी के हजारों मॉडल शॉप और बार में देर रात बैठ कर लोग शराब पीकर टुन्न होते हैं और फिर सड़कों पर हवा से बात करने अपने वाहनों से लेकर निकल जाते हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर पुलिस बार और मॉडल शॉप के निकल कर नशे में गाड़ी चलाने वालों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं करती है.

ड्रिंक एवं ड्राइव कानून के तहत कार्रवाई का प्रावधान.




56 मॉडल शॉप 131 बार फिर भी नहीं होती ड्रिंक एंड ड्राइव जांच :राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर इलाके पर स्थित समिट बिल्डिंग में सौ से अधिक बार हैं. इसके अलावा शहर भर में कुल 131 बार हैं. यहां रोजाना हजारों लड़के लड़कियां आते हैं और देर रात नशे में टुल्ल होकर बाहर निकलते हैं और महंगी गाड़ियों से निकल जाते हैं. ये युवक-युवतियां रात भर शहर में नशे में धुत होकर तेज रफ्तार में गाड़ियां चलाते हैं. इसी तरह शहर भर में 56 मॉडल शॉप हैं. यहां भी शाम को शराब पीने वालों का मजमा लगा रहता है और फिर शराब पीकर सड़कों पर नशे में गाड़ी चलाने निकल जाते हैं. जिससे आए दिन हादसों में लोगों की जान जाती है. बावजूद इसके राजधानी की ट्रैफिक पुलिस ने बीते एक वर्ष में सिर्फ 15 दिन (15 से 28 जून) अभियान चला कर 250 लोगों का जुर्माना ठोका.


ड्रिंक एवं ड्राइव से हुए हादसों के पीड़ित.



पुलिस का दावा- हम तो करते हैं जांच :डीसीपी ट्रैफिक ह्रदेश कुमार ने बताया कि जून माह में हमने 15 दिन का अभियान चलाकर 250 लोगों का मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के सेक्शन 185 के तहत चालान किया गया था. ये वो लोग थे, जो शराब पीकर गाड़ी चला रहे थे. इतना ही नहीं नए वर्ष, क्रिसमस जैसे आयोजनों के दिन भी ड्रिंक एंड ड्राइव की चेकिंग की जाती है. यह कहना गलत होगा कि हम मॉडलशोप या बार के बाहर चेकिंग नहीं करते हैं. जब भी जरूरत पड़ती है तो चेकिंग की जाती है.

ड्रिंक एवं ड्राइव से हुए हादसे.

ड्रिंक एंड ड्राइव के जुड़े कुछ केस

  • किंग जॉर्ज मेडकिल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर में रोजाना पहुंचने वाले सड़क हादसों के मामलों में 35% ड्रिंक एंड ड्राइव के ही केस होते हैं.
  • जनवरी से अब तक कुल लाख 50 हजार 450 चालान काटे गए है. इसमें ड्रिंक एंड ड्राइव के महज 259 ही चालान हुए हैं.
  • बीते चार माह में सिर्फ एक दिन ड्रिंक एंड ड्राइव चेकिंग के लिए अभियान चला.
  • पुलिस ब्रेथ एनालाइजर के द्वारा यह पता करती है कि ड्राइवर ने शराब पी है या नहीं.
  • ड्राइवर के ब्लड में एल्कोहल की मात्रा 100 ml में 0.03% होने पर चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है.
  • यदि ड्राइवर के ब्लड में 0.03% से ज्यादा एल्कोहल पाया जाता है तो मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 185 में कार्रवाई होती है. इसके अलावा मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 207 के तहत वाहन जब्त होता है. छह महीने की जेल या 10 हजार रुपए का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.
ड्रंक एन ड्राइव के लिए चेकिंग. फाइल फोटो.
शराब की दुकानों और बार के बाहर कार्रवाई नहीं करती पुलिस !



हर साल लाखों लोग सड़क हादसे में गंवाते हैं जान : नशे में ड्राइविंग करने के कारण हर वर्ष हजारों दुर्घटनाएं होती हैं. जिसमें सैकड़ों लोगों को जान चली जाती है. एनआरसीबी के आंकड़ों के अनुसार बीते पांच वर्षों में देश भर में सात लाख 46 हजार 438 सड़क हादसों में लोगों ने जान गंवाई है. इसमें एक लाख से अधिक लोगों की नशे में गाड़ी चलाने के कारण मौत हुई है.

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