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मरीज बोले- गरीबों को देखते तक नहीं, मंत्रियों का होता है इलाज

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नियमित वर्चुअल बैठक कर अस्पतालों की व्यवस्थाओं पर जवाब तलब कर रहे हैं लेकिन राजधानी के सिविल अस्पताल में भर्ती मरीज गंभीर आरोप लगा रहे हैं.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

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Published : Apr 28, 2021, 5:50 PM IST

लखनऊः राजधानी के सिविल अस्पताल में गरीबों को डॉक्टर देखते तक नहीं, सिर्फ अधिकारियों और मंत्रियों का ठीक से इलाज किया जाता है. यह हम नहीं कह रहे बल्कि अस्पताल में मौजूद मरीज कह रहे हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में मरीजों ने यहां तक कहा कि अस्पताल में भर्ती कराने में भी सोर्स की जरूरत पड़ रही है.

अस्पताल में अव्यवस्था

दिखी ऐसी अव्यवस्था
कोरोना संक्रमितों की तेजी से बढ़ती संख्या के कारण अस्पतालों की स्थिति बेहद खराब है. चाहे सरकारी कोविड अस्पताल हों या फिर निजी अस्पताल, इमरजेंसी में कहीं भी बेड खाली नहीं हैं. अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड की हकीकत जानने के लिए बुधवार को ईटीवी भारत ने रियलिटी चेक किया. इसमें देखा कि सिविल अस्पताल (श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल) के इमरजेंसी वार्ड में बेड खाली नहीं हैं. मरीजों से बात की तो उन्होंने कहा कि डॉक्टर ठीक से देखते भी नहीं. कुछ तीमारदारों ने कैमरे के सामने खुलकर अपनी बात कही. एक बुजुर्ग ने यह भी कह डाला कि अस्पताल में भर्ती कराने के लिए सोर्स की जरूरत पड़ रही है. नेता व मंत्री के नौकर भी आएं तो उन्हें तुरंत इलाज दिया जाता है लेकिन गरीबों का इलाज तो छोड़िए, उन्हें देखा भी नहीं जाता. इमरजेंसी में तीमारदारों के लिए किसी भी सीट की व्यवस्था नहीं है. इस कारण तीमारदार भी मरीज के बेड पर बैठे मिले.

ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी
ऑक्सीजन सिलेंडर की बात करें तो इसकी भी भारी कमी दिखी. मौजूद स्टाफ ने बताया कि अस्पताल में 500 ऑक्सीजन सिलेंडर प्रतिदिन की डिमांड है. आपूर्ति सिर्फ 300 की हो रही है. इस कारण पुरानी बिल्डिंग में जो बेड खाली हैं, वहां पर ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था नहीं हो पा रही है.

इमरजेंसी में 45 बेड
सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में कुल 45 बेड हैं, जिन पर ऑक्सीजन सिलेंडर हैं. वर्तमान में सभी बेड पर मरीज हैं. इस समय अस्पताल में मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है क्योंकि बेड ही खाली नहीं हैं. वहीं, सिविल अस्पताल के निदेशक डॉ. सुभाष सुंदरियाल ने बताया कि हमारे यहां इमरजेंसी में 45 बेड पर ऑक्सीजन उपलब्ध है. यह सभी सोमवार को फुल हो चुके हैं. कई गंभीर मरीजों को वेटिंग में रखा गया है. अब मरीजों को हम कहां
भर्ती करें. उन्होंने यह भी बताया कि यह दौर ऐसा है कि जितने भी मरीज इमरजेंसी में आ रहे हैं, उन सभी को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है. हमारे पास पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन भी नहीं है और न ही बेड हैं. पुरानी बिल्डिंग में कुछ बेड खाली हैं लेकिन वहां ऑक्सीजन सप्लाई नहीं है. ऑक्सीजन सिलेंडर का भी इंतजाम नहीं है वरना उधर कुछ बेड पर मरीज भर्ती कर सकते थे.

मरीज भर्ती हैं मगर देखने वाला कोई नहीं
इंदिरानगर निवासी पूनम यादव ने बताया कि पिछले 1 महीने से वह अपनी मम्मी को लेकर अस्पताल में भर्ती हैं. भर्ती करवाते समय डॉक्टर ने कहा था कि उनको डबल निमोनिया है. उसका इलाज चल रहा था तभी कुछ समय बाद बताया गया कि वह कोरोना संक्रमित हैं. कुछ समय इलाज चला जिसके बाद कहा गया कि आप यहां से उन्हें अन्य अस्पताल में ले जाएं. अन्य अस्पतालों में बेड नहीं खाली हैं. वहीं निजी अस्पतालों में फीस बढ़ा-चढ़ाकर वसूली जा रही है. आखिर मरीज को लेकर तीमारदार कहां जाएं.

सभी स्टाफ इधर-उधर
अस्पताल के कोविड-19 इमरजेंसी वार्ड में जिन डॉक्टरों की ड्यूटी लगी है, कोई भी दोपहर 1 से 3 बजे तक एक बार भी नहीं दिखाई दिया. इसी बीच कुछ स्टाफ ने कैमरे को देखा तो स्ट्रेचर पर पड़े मरीज को देखने लगे.

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इमरजेंसी में शिफ्ट से अनुसार लगती है ड्यूटी
अस्पताल की सीएमएस डॉ. एसके नंदा ने बताया कि अस्पताल में नॉन कोविड के 100 से ज्यादा बेड हैं. वहीं, कोविड मरीजों के लिए बनाए गए आइसोलेशन वार्ड की इमरजेंसी में 45 बेड पर ऑक्सीजन है. इमरजेंसी में सभी डॉक्टरों की ड्यूटी उनके निर्धारित शिफ्ट पर लगती है. जिस डॉक्टर की जो शिफ्ट होती है, वह उसी के अनुसार अपनी ड्यूटी करता है. अस्पताल में कुल 450 डॉक्टर, नर्स, लैब टेक्नीशियन और अन्य स्टाफ है. सभी शिफ्ट के अनुसार इमरजेंसी में ड्यूटी देते हैं.

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