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आयुष अस्पतालों पर विश्वास बरकरार, गठिया इलाज के लिए दूरदराज से आ रहे मरीज

हाल ही में बिना नीट (NEET) परीक्षा दिए आयुष कॉलेजों में हुए दाखिले के संबंध में 891 छात्र को निलंबित किया गया है. इसमें प्रदेश के कई जिले के आयुष कॉलेज सम्मिलित हैं जहां पर बिना परीक्षा के छात्रों का दाखिला हुआ था. उसमें से एक राजधानी लखनऊ का है. शहर के राजकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय में भी छह छात्रों को निलंबित किया गया है.

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Published : Nov 14, 2022, 4:04 PM IST

Updated : Nov 14, 2022, 11:12 PM IST

लखनऊ : हाल ही में बिना नीट (NEET) परीक्षा दिए आयुष कॉलेजों में हुए दाखिले के संबंध में 891 छात्र को निलंबित किया गया है. इसमें प्रदेश के कई जिले के आयुष कॉलेज सम्मिलित हैं जहां पर बिना परीक्षा के छात्रों का दाखिला हुआ था. उसमें से एक राजधानी लखनऊ का है. शहर के राजकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय (Government Ayurvedic Medical College and Hospital) में भी छह छात्रों को निलंबित किया गया है.

मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय के प्रिंसिपल डॉ. प्रकाश चंद्र सक्सेना (Principal of Medical College and Hospital Dr. Prakash Chandra Saxena) ने बताया कि छात्रों को सबसे पहले यह सूचना दी गई कि अगर आप इस पर कोई स्पष्टीकरण देना चाहते हैं और आप अपनी कॉपी को एंट्रेंस एग्जाम से मिलवा सकते हैं. यह आदेश शासन की ओर से जारी लिखित तौर पर छात्रों को सौंपा गया था. जिस दिन से उन छह छात्रों को इस बात की जानकारी दी गई है और स्पष्टीकरण मांगा गया है. उस दिन से एक भी छात्र कॉलेज परिसर में हमें नहीं दिखाई दिए. उनके बारे में अता पता भी नहीं है. कई बार होता है कि सही स्टूडेंट्स पर गलत आरोप लग जाते हैं. जिसके कारण छात्र के परिजन आवास तक आकर हंगामा करते हैं. इसलिए इस बार गलत दाखिले के प्रकरण में सबसे पहले सभी छात्रों को नोटिस दिया गया. फिलहाल वह छह छात्र कॉलेज नहीं आ रहे हैं. उनकी कोई भी सूचना नहीं प्राप्त हुई है.

जानकारी देतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला.

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डॉ. सक्सेना ने बताया कि राजकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय में ओपीडी भी चलती है. लोगों का विश्वास आयुष के ऊपर हमेशा से बरकरार रहा है. ओपीडी में रोजाना 500 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं. इनमें ज्यादातर मरीज जो है वह गठिया या त्वचा रोग से परेशान होते हैं. यह दोनों ही बीमारियां जब किसी को हो जाती है तो वह जल्दी हटती नहीं है. एलोपैथ की दवा इसे जड़ तोड़ बना नहीं पाती है. ऐसे में मरीज आयुष अस्पताल आते हैं.

वहीं मरीजों का कहना है कि आयुष पर उनका भरोसा अभी भी बरकरार है. यही कारण है कि गठिया के इलाज के बाद जब होती है तो लोग राजकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय की तरफ रुख करते हैं. बिना नीट (NEET) परीक्षा दिए छात्रों के दाखिले पर मरीजों ने कहा कि अच्छा हुआ कि इस बात की पुष्टि सरेआम हो गई. क्योंकि हमें पढ़े-लिखे डॉक्टर की जरूरत है, जिसके पास अच्छी नॉलेज हो और मरीज को बेहतर चिकित्सा सुविधा दे सकें. मरीजों ने कहा कि अगर इसी तरह से होता रहेगा तो आने वाले समय में स्वास्थ्य विभाग भी पूरी तरह से बदनाम हो जाएगा.

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Last Updated : Nov 14, 2022, 11:12 PM IST

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