लखनऊ :कई बार गंभीर और आंतरिक शारीरिक समस्या होने पर डॉक्टर अक्सर रोगी को एमआरआई जांच करवाने के लिए कहते हैं. जिसमें शरीर के अंदर क्या दिक्कत है इसकी जांच की जाती है. इसके बाद रोगी को उचित उपचार प्रदान किया जाता है. इस लेख में एमआरआई से जुड़े सभी सवालों के जवाब देने की कोशिश की गई है. सभी अस्पतालों में एमआरआई की व्यवस्था न होने से मरीजों को निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है. कई बड़े मेडिकल कॉलेजों में मरीज भटकते रह जाते हैं, लेकिन जांच नहीं हो पाती है.
300 बेड का अस्पताल :सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरपी सिंह ने कहा कि 'सिविल 300 बेड का अस्पताल है. यहां पर जगह की कमी होने की वजह से एमआरआई की मशीन नहीं लगाई गई है. मशीन नहीं लग पाने की वजह साफ है, जैसे ही सिविल अस्पताल का विस्तार होगा शासन व स्वास्थ्य विभाग के दिशा अनुरूप सुविधाएं जरूर मुहैया होंगी. फिलहाल, अभी अस्पताल में एमआरआई मशीन नहीं होने के कारण मरीज की जांच नहीं हो पाती है. इसके लिए उन्हें मेडिकल कॉलेज रेफर किया जाता है. सिविल अस्पताल के विस्तार के लिए सूचना विभाग की बिल्डिंग शासन की ओर से प्राप्त हुई है. नक्शा पास होने पर सिविल अस्पताल के नवीनीकरण का काम शुरू होगा.'
टेक्नीशियन की कमी :बलरामपुर अस्पताल में तमाम दावों के बावजूद अब तक एमआरआई की सुविधा शुरू नहीं हो सकी है, जबकि यहां ढाई करोड़ की एमआरआई मशीन लगाई जा चुकी है. डॉक्टर द्वारा रोजाना यहां 30 से 35 मरीजों की एमआरआई जांच लिखी जाती है. लेकिन, जांच न शुरू होने के कारण से मरीजों को केजीएमयू, लोहिया या फिर निजी डायग्नोस्टिक सेंटर में जांच कराने के लिए जाना पड़ता है, अस्पताल में टेक्नीशियन नहीं होने के कारण मशीन का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है. सीएमएस डॉ जीपी गुप्ता ने बताया कि 'अस्पताल में अभी एमआरआई की जांच नहीं हो रही है. मशीन तो लग गई है, लेकिन मशीन टेक्नीशियन नहीं होने के कारण कई दिक्कतें परेशानी हो रही हैं. अभी इसका काम पूरा नहीं हो पाया है, जिस कारण अभी जांच नहीं हो रही है.'
लोकबंधु 318 बेड का अस्पताल :लोकबंधु अस्पताल के एमएस डॉ अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि अस्पताल में 'हाल ही में सीटी स्कैन की मशीन लगी है. इसके अलावा ब्लड बैंक का भी काम चल रहा है. लोकबंधु 318 बेड का अस्पताल है. उन्होंने कहा कि देखा जाए तो जो अस्पताल 300 बेड के हैं वहां एमआरआई की व्यवस्था होनी चाहिए. धीरे-धीरे करके सारी व्यवस्था अस्पताल में की जा रही है. कोशिश है कि जल्द ही अस्पताल में एमआरआई मशीन स्थापित की जाए. एमआरआई मशीन हो जाने के बाद मरीजों को बड़े अस्पतालों में जाकर भटकना नहीं पड़ेगा. अभी अस्पताल में फंड की कमी के कारण मशीन स्थापित नहीं की जा सकती, लेकिन शासन व स्वास्थ्य विभाग की ओर से फंड मिलने पर मशीन जरूर स्थापित होगी.'