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शहर के अस्पतालों में बंद पड़े वेंटिलेटर, मरीज गवां रहे जान - third wave of corona

शहर के सरकारी अस्पतालों में करोड़ों रुपये के वेंटिलेटर बंद पड़े हैं. कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के इंतजार में इसका संचालन ठप है. वहीं दूसरी बीमारी से जूझ रहे मरीजों को इसकी वजह से वेंटीलेटर नहीं मिल पा रहा है और उन्हें असमय जान गंवानी पड़ रही है.

सरकारी अस्पतालों की लापरवाही
सरकारी अस्पतालों की लापरवाही

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Published : Sep 10, 2021, 10:22 AM IST

लखनऊ : जिले के बलरामपुर अस्पताल में मंगलवार देर रात ब्रेन स्ट्रोक पीड़ित रमेश की सांसें उखड़ने लगीं. उन्हें वेंटीलेटर नहीं मिल सका. यह हाल तब रहा, जब अस्पताल के सभी 57 वेंटिलेटर खाली हैं. वहीं कागजों में बलरामपुर कोविड अस्पताल है. ऐसे में तीसरी लहर की तैयारियों को लेकर वेंटिलेटर यूनिट खाली रखी गई है.

अस्पतालों में स्टाफ की ट्रेनिंग हो चुकी है. वहीं बलरामपुर अस्पताल में एनस्थीसिया विशेषज्ञ, टेक्नीशियन और पैरामेडिकल स्टाफ का संकट भी बताया जा रहा है. इससे 24 घंटे क्रिटिकल केयर यूनिट रन करने में अफसर घबरा रहे हैं. लोकबंधु अस्पाताल में 37 वेंटिलेटर हैं. यूनिट के सभी वेंटिलेटर खाली हैं. सिविल अस्पताल में नौ वेंटिलेटर हैं. यहां भी बंद है. राम सागर मिश्र में चार वेंटिलेटर हैं. यह भी बंद हैं. दूसरे सरकारी अस्पतालों में आठ से ज्यादा वेंटिलेटर ताले में बंद हैं. इन्हें कोरोना की तीसरी लहर से निपटने की तैयारी के लिए रखा गया है.


राजधानी के तीन संस्थानों में वेंटिलेटर की वेटिंग चल रही है. इसमें केजीएमयू, पीजीआई और लोहिया संस्थान में 50 मरीजों के नम्बर लगे हैं. ऐसे में गंभीर मरीजों की भर्ती मुश्किल से हो पा रही है. मरीज महंगी फीस देकर निजी अस्पतालों में इलाज कराने को मजबूर हैं. केजीएमयू में भर्ती गोरखपुर निवासी व्यक्ति की कोरोना से मौत हो गई है. शहर में यह 70 दिन बाद कोरोना मरीज की मौत हुई है.

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