लखनऊ: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (King George's Medical University) में व्यवस्था पर सवालिया निशान लग (Patient dies due to lack of treatment in KGMU) रहे हैं. हालात यह है कि एक तरह डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ट्रॉमा सेंटर में बदहाल इलाज के इंतजामों का जायजा ले रहे थे. दूसरी तरफ ट्रॉमा के ठीक सामने लारी कॉर्डियोलॉजी विभाग मुकम्मल इलाज के अभाव में मरीज की सांसें थम गईं. परिवारीजनों का आरोप है कि करीब 13 घंटे से मरीज को एक से दूसरे विभाग लेकर भटक रहे हैं. डॉक्टर इलाज के बजाए टरका रहे हैं. समय पर पुख्ता इलाज न मिलने से ही मरीज की मौत हुई है.
हरदोई के सविहर गांव निवासी रघुनंद सिंह (35) को बुधवार रात करीब नौ बजे सीने में दर्द हुआ. परिवारीजन मरीज को लेकर स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे. यहां डॉक्टरों ने प्राथमिक इलाज के बाद मरीज को लारी कॉर्डियोलॉजी ले जाने की सलाह दी. परिवारीजना रात करीब साढ़े 11 बजे परिवारीजन मरीज को लेकर लारी पहुंचे. परिवारीजनों का आरोप है कि डॉक्टरों ने मरीज को देखते ही ट्रॉमा सेंटर ले जाने की सलाह दी. करीब एक बजे परिवारीजन मरीज को लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे. यहां लाइन में लगकर पंजीकरण कराया. लंबी जद्दोजहद के बाद डॉक्टरों ने मरीज को देखा.
केजीएमयू में इलाज के अभाव में मरीज की मौत, 13 घंटे तक एक विभाग से दूसरे विभाग भेजा
गुरुवार को केजीएमयू में इलाज के अभाव में मरीज की मौत (Patient dies due to lack of treatment in KGMU) हो गयी. परिवारीजनों का आरोप है कि समय पर मरीज को इलाज नहीं मिला. करीब 13 घंटे तक मरीज को एक से दूसरे विभाग तक भेजते रहे.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Dec 22, 2023, 6:38 AM IST
मरीज को लारी ले जाने को कहा: दिल की बीमारी की बताते हुए मरीज को लारी ले जाने को कहा. बेबस तीमारदार मरीज को लेकर दोबारा लारी इमरजेंसी पहुंचे. यहां पहले तो कर्मचारियों ने मरीज को इमरजेंसी दाखिल होने नहीं दिया. किसी तरह परिवारीजन मरीज को लेकर भीतर गए. डॉक्टरों ने मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत बताई. ऑक्सीजन बेड खाली न होने की बात कहते हुए मरीज को कॉर्डियो वैस्कुलर थोरैसिक सर्जरी (सीवीटीएस) विभाग ले जाने को कहा. किसी तरह परिवारीजन मरीज को लेकर सीवीटीएस पहुंचे. आरोप हैं कि डॉक्टरों ने लारी का केस बताते हुए मरीज को वापस कर दिया.
इमरजेंसी में गिड़गिड़ाते रहे नहीं आया डॉक्टरों को रहम: लारी इमरजेंसी में परिवारीजन मरीज को भर्ती करने के लिए गिड़गिड़ाते रहे. पर, डॉक्टरों का दिल नहीं पसीजा. आखिर में एक कर्मचारी ने मरीज को ओपीडी में दिखाने की सलाह दी. सुबह परिवारीजन ओपीडी पंजीकरण के लिए कतार में लग गए. दोपहर एक बजे मरीज का नम्बर नहीं आया.
सांस लेने में तकलीफ बढ़ी, मौत: मरीज रघुनंदन को सांस लेने में तकलीफ लगातार बढ़ती जा रही थी. दोपहर करीब एक बजे ओपीडी में फर्श पर मरीज बेहोश होकर गिर पड़ा. आनन-फानन तीमारदार मरीज को लेकर इमरजेंसी पहुंचे. जहां डॉक्टरों ने मरीज को मृत घोषित कर दिया. नाराज परिवारीजनों ने लारी में हंगामा शुरू कर दिया. इससे वहां अफरा-तफरी मच गई. सुरक्षा कर्मियों और कर्मचारियों ने किसी तरह समझा-बुझकर शांत कराया. रोते-बिलखते परिवारीजन शव लेकर वापस लौट गए. परिवारीजनों का कहना है कि समय पर मरीज को इलाज नहीं मिला. करीब 13 घंटे तक मरीज को एक से दूसरे विभाग तक दौड़ लगाते रहे. पर, कोई सुनवाई नहीं हुई.