लखनऊ : एक तरफ उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री लगातार सरकारी कंपनी पराग को पुनर्जीवित करने का दम भर रहे हैं. दूसरी तरफ लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश में घाटे के चलते पराग बूथ, डेयरियां और प्लांट लगातार बंद होते जा रहे हैं. लखनऊ में ही जहां-जहां पराग बूथ खुले थे वहां पर अब या तो पराग के प्रोडक्ट के अलावा अन्य सभी प्रोडक्ट बेच कर लोग इन बूथों को चला रहे हैं या फिर घाटे के चलते इन्हें बंद ही कर दिया है. पराग के स्थान पर अमूल, ज्ञान और नमस्ते इंडिया को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है. लगातार बंद होते जा रहे पराग बूथ और प्लांट को लेकर विपक्षी दल सरकार को घेर भी रहे हैं. विधानसभा सत्र के दौरान समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया था.
पराग की गिरती स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि तमाम स्थानों पर प्लांट बंद हो गए हैं. जिनमें कन्नौज में कॉऊ प्लांट और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र गोरखपुर में पराग का डेयरी प्लांट शामिल है. उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह कह रहे हैं कि पराग की बेहतरी के लिए लगातार प्रयास किया जा रहे हैं. पराग को हर हाल में पुनर्जीवित करना है, लेकिन गंभीर सवाल यह है कि जब यूपी के मुखिया के गृह क्षेत्र में ही डेयरी प्लांट बंद हो रहा है तो किसी अन्य स्थान के बारे में क्या ही कहा जा सकता है. लखनऊ के तमाम स्थानों पर पराग बूथ बंद हो चुके हैं या बंदी की कगार पर है. इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि पराग बूथ संचालकों को उतनी मात्रा में दूध या अन्य प्रोडक्ट ही उपलब्ध नहीं हो पाते हैं जितने की खपत होती है. ऐसे में ग्राहक जब बूथ से लौट जाते हैं तो दोबारा उनकी वापसी नहीं होती. जिससे पराग बूथ संचालकों को काफी घाटा हो रहा है. लिहाजा, घाटे से बचने के लिए वह पराग बूथ को बंद करने में ही अपना फायदा समझने लगे हैं.