लखनऊ: देश के पहले प्रधानमंत्री स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू की आज जयंती है और देश उन्हें नमन कर रहा है. नेहरू का लखनऊ के कांग्रेस मुख्यालय के नेहरू भवन से क्या खास रिश्ता रहा है? किस नेता ने किस व्यापारी से ये कार्यालय खरीदा और किस नेता ने इस कार्यालय को नेहरू भवन नाम दिया? कैसे यहां पर कांग्रेस पार्टी का कार्यालय बना और कैसे इसका नाम नेहरू भवन पड़ा? इसका इतिहास बेहद दिलचस्प है. पंडित नेहरू के जन्मदिवस पर ईटीवी भारत आपको इस नेहरू भवन के इतिहास से रूबरू करा रहा है.
नेहरू भवन में हर जगह नेहरू
लखनऊ के 10 माल एवेन्यू स्थित सफेद रंग की खूबसूरत बिल्डिंग में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का शानदार कार्यालय है. कांग्रेस दफ्तर की इस बेहद खूबसूरत इमारत को 'नेहरू भवन' के नाम से जाना जाता है. बाहर से लेकर अंदर तक पत्थरों पर 'नेहरू भवन' लिखा हुआ है. साथ ही दफ्तर के अंदर प्रवेश करने से पहले और गैलरी के ठीक सामने पंडित नेहरू के आकर्षक व्यक्तित्व की तस्वीरें भी लगी हुई हैं.
कांग्रेस कार्यालय बनने से पहले यहां क्या था
आज जहां पर कांग्रेस का दफ्तर है, कभी वहां पर स्टेट गेस्ट हाउस हुआ करता था. बाराबंकी के चीनी मिल मालिक बलभद्र सिंह का यह स्टेट गेस्ट हाउस था. उनकी चीनी मिल का काम पूरी तरह ठप हो गया तो इसकी नीलामी हुई. यह बात साल 1979 की है. तमाम खरीदारों ने उस समय लाखों में स्टेट गेस्ट हाउस की बोली लगाई. खरीदारों में कांग्रेस पार्टी के नेता भी शामिल थे. जगह इतनी महंगी थी कि बिना सहायता के खरीदना मुश्किल था. तब उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड अलग नहीं था. दोनों राज्य एक थे और बड़ी संख्या में प्रदेश भर में कांग्रेस के कार्यकर्ता फैले हुए थे. ऐसे में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आपस में चंदा लगाकर पौने नौ लाख रुपए इकट्ठा किए और नीलामी में हिस्सा लिया. तमाम खरीदारों ने बोली लगाई, लेकिन कांग्रेस की पौने नौ लाख की बोली के बाद यह जगह कांग्रेस के नाम हो गई और यहां पर कांग्रेस कार्यालय बन गया.