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नेहरू स्पेशल: चंदे के पैसों से बने 'नेहरू भवन' की कहानी, आप भी जानें

लखनऊ के 10 माल एवेन्यू स्थित सफेद रंग की खूबसूरत बिल्डिंग में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का शानदार कार्यालय है. कांग्रेस दफ्तर की इस बेहद खूबसूरत इमारत को 'नेहरू भवन' के नाम से जाना जाता है.

नेहरू स्पेशल
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Published : Nov 14, 2020, 5:27 PM IST

लखनऊ: देश के पहले प्रधानमंत्री स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू की आज जयंती है और देश उन्हें नमन कर रहा है. नेहरू का लखनऊ के कांग्रेस मुख्यालय के नेहरू भवन से क्या खास रिश्ता रहा है? किस नेता ने किस व्यापारी से ये कार्यालय खरीदा और किस नेता ने इस कार्यालय को नेहरू भवन नाम दिया? कैसे यहां पर कांग्रेस पार्टी का कार्यालय बना और कैसे इसका नाम नेहरू भवन पड़ा? इसका इतिहास बेहद दिलचस्प है. पंडित नेहरू के जन्मदिवस पर ईटीवी भारत आपको इस नेहरू भवन के इतिहास से रूबरू करा रहा है.

नेहरू स्पेशल

नेहरू भवन में हर जगह नेहरू

लखनऊ के 10 माल एवेन्यू स्थित सफेद रंग की खूबसूरत बिल्डिंग में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का शानदार कार्यालय है. कांग्रेस दफ्तर की इस बेहद खूबसूरत इमारत को 'नेहरू भवन' के नाम से जाना जाता है. बाहर से लेकर अंदर तक पत्थरों पर 'नेहरू भवन' लिखा हुआ है. साथ ही दफ्तर के अंदर प्रवेश करने से पहले और गैलरी के ठीक सामने पंडित नेहरू के आकर्षक व्यक्तित्व की तस्वीरें भी लगी हुई हैं.

कांग्रेस कार्यालय बनने से पहले यहां क्या था

आज जहां पर कांग्रेस का दफ्तर है, कभी वहां पर स्टेट गेस्ट हाउस हुआ करता था. बाराबंकी के चीनी मिल मालिक बलभद्र सिंह का यह स्टेट गेस्ट हाउस था. उनकी चीनी मिल का काम पूरी तरह ठप हो गया तो इसकी नीलामी हुई. यह बात साल 1979 की है. तमाम खरीदारों ने उस समय लाखों में स्टेट गेस्ट हाउस की बोली लगाई. खरीदारों में कांग्रेस पार्टी के नेता भी शामिल थे. जगह इतनी महंगी थी कि बिना सहायता के खरीदना मुश्किल था. तब उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड अलग नहीं था. दोनों राज्य एक थे और बड़ी संख्या में प्रदेश भर में कांग्रेस के कार्यकर्ता फैले हुए थे. ऐसे में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आपस में चंदा लगाकर पौने नौ लाख रुपए इकट्ठा किए और नीलामी में हिस्सा लिया. तमाम खरीदारों ने बोली लगाई, लेकिन कांग्रेस की पौने नौ लाख की बोली के बाद यह जगह कांग्रेस के नाम हो गई और यहां पर कांग्रेस कार्यालय बन गया.

प्रदेश के मुखिया की कमान बाबू बनारसी दास गुप्ता के हाथ थी. उस समय कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष मोहसिना किदवई थीं. प्रदेश अध्यक्ष मोहसिना किदवई की अध्यक्षता में ही बोली लगाकर यह जगह कांग्रेस के नाम की गई. 1977 में कांग्रेस की हार के बाद 1978 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राम नरेश यादव द्वारा खाली की गई आजमगढ़ लोकसभा सीट जीतकर मोहसिना किदवई ने ही कांग्रेस की जीत की शुरुआत की थी. उन्हीं की अध्यक्षता में कांग्रेस की यह बिल्डिंग खरीदी गई और उन्हीं के अध्यक्षीय कार्यकाल में इस भवन का नाम नेहरू भवन रखा गया.

इंदिरा गांधी ने किया नामकरण

साल 1979 में जब चंदा लगाकर कांग्रेस पार्टी ने यह जगह खरीद ली तो अब इस पार्टी कार्यालय के भवन के नामकरण की बारी आई. पं. जवाहरलाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी पार्टी कार्यालय आईं और उन्होंने ही इस भव्य इमारत का नाम अपने पिता के नाम पर 'नेहरू भवन' रखा. तब से लेकर अब तक इस आकर्षक सफेद रंग की इमारत को सभी 'नेहरू भवन' के नाम से जानते हैं.

राजा तिलोई हाउस में था कार्यालय

साल 1979 में 10 माल एवेन्यू पर कांग्रेस का कार्यालय बनने से पहले कैसरबाग स्थित राजा तिलोई हाउस में कांग्रेस का दफ्तर हुआ करता था. यहां पर देश की आजादी से लेकर 1979 तक करीब 32 साल तक कांग्रेस का दफ्तर संचालित होता रहा. राजा तिलोई हाउस अब बिल्कुल जर्जर सा हो गया है, लेकिन कांग्रेस पार्टी का 10 माल एवेन्यू स्थित नेहरू भवन व्हाइट हाउस की तरह अंधेरी रात में भी चमकता हुआ नजर आता है.

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