लखनऊःराजधानी के गांवों में सरकार बनाने के लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. पंचायत चुनाव के दूसरे चरण में 19 अप्रैल को लखनऊ के 494 ग्राम पंचायतों में 10 लाख 60 हजार से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. प्रदेश की राजधानी लखनऊ होने की वजह से जो आसपास के ग्रामीण इलाकों में कुछ हद तक विकास अन्य जिलों की तुलना में अधिक हुआ है. इसके बावजूद अभी भी तमाम समस्याएं ग्रामीणों के सामने हैं और इस चुनाव में भी वह मुद्दे बने हुए हैं.
मोहनलालगंज में विधायक ने लगाया पत्नी पर दांव
लखनऊ के मोहनलालगंज विधानसभा क्षेत्र पिछड़ा व अति पिछड़े बाहुल्य है. लेकिन स्थानीय ग्राम पंचायत व जिला पंचायत चुनावों में ब्राह्मण व क्षत्रिय व यादव जाति का काफी प्रभाव है. इसी वर्ष मोहनलालगंज मुख्य कस्बा समेत कुछ गांव नगर पंचायत में सम्मिलित किए गए हैं. वहीं, वार्ड नंबर 18 से वर्तमान में समाजवादी पार्टी के विधायक अम्बरीष सिंह पुष्कर की पत्नी विजयलक्ष्मी जिला पंचायत सदस्य के लिए अपनी किस्मत आजमा रही हैं. विजयलक्ष्मी बीते पंच वर्षीय में मोहनलालगंज ब्लॉक की ब्लाक प्रमुख थीं, जिन्हें टक्कर देने के लिए प्रसपा से कमला रावत मैदान में हैं. इसी के साथ समाजवादी पार्टी के समर्थन में वार्ड नंबर 19 से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव शिव सागर लोधी, भाजपा से चंदन सिंह व बसपा से अमरेंद्र भारद्वाज लड़ रहे हैं.
बीकेटी में भी लड़ाई रोमांचक
बीकेटी में निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष माया यादव वार्ड एक से तो वार्ड दो से भाजपा के जिला उपाध्यक्ष (पिछड़ा वर्ग) दिनेश कुमार वर्मा की पत्नी अनीता वर्मा चुनाव लड़ रही हैं. वार्ड 5 से भाजपा नेता आशुतोष सिंह, कर्मचारी संघ के पूर्व अध्यक्ष रामनरेश सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, कांग्रेस पार्टी के मीडिया संयोजक लल्लन कुमार भी एक से छह वार्ड में अपने समर्थकों को चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में बीकेटी में भी चुनाव दिलचस्प हैं.
प्रमुख मुद्दे और समस्याएं
ग्रामीण इलाकों में उच्च शिक्षा के लिये कन्या डिग्री कॉलेज न होना क्षेत्र की बालिकाओं के लिये एक बहुत बड़ी समस्या है. क्षेत्र की बालिकाओं को इंटर के बाद आगे की पढ़ाई के लिये लखनऊ शहर जाना पड़ता है. दूसरी समस्या नगरीय बस न चलने की है. पहले लखनऊ से चंद्रिका देवी मंदिर, रैथा रोड, कुम्हरावां रोड और तहसील रोड के लिये बसों का संचालन होता था, जो कई वर्षों से अब नहीं होता है. तीसरी समस्या सरकारी संसाधनों पर सिंचाई के लिये निर्भर किसानों की है. नहरों में समय से कभी पानी नहीं छोड़ा जाता है. जिससे पंपिंग सेट से मंहगी सिंचाई करनी पड़ती है. चौथी सबसे अहम समस्या खराब सड़कों की है. जिनकी मरम्मत कई वर्षों से न कराये जाने की वजह से राहगीरों को परेशानी झेलनी पड़ती है.
जातीय समीकरण
बीकेटी क्षेत्र का जातीय समीकरण तीन धड़ों में बंटा है. छठामील से रैथा रोड का इलाका यादव बाहुल्य है. इसके बाद नबीकोट नंदना से लेकर चंद्रिका देवी मंदिर रोड तहसील रोड से लेकर देवरी रुखारा तक ठाकुर बाहुल्य क्षेत्र है. कुम्हरावां रोड से लेकर इटौंजा कुर्सी रोड क्षेत्र के गावों में अनुसूचित जाति की संख्या अधिक है.