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ऑटो चालक, वेल्डर व कारपेंटर से इंडियन आर्मी की जासूसी करा रही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी - इंडियन आर्मी की जासूसी

इंडियन आर्मी की जासूसी कराने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी (ISI) ऑटो चालक, वेल्डर व कारपेंटर का काम करने वालों को टारगेट कर रही है. इसके लिए देश में मौजूद आईएसआई के एजेंट ऐसे लोगों को फंडिंग भी करते हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 30, 2023, 3:32 PM IST

लखनऊ : पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी (आईएसआई) और आईएसआईएस एक ही प्लान में चल रहे हैं. भारत के युवाओं के देश के खिलाफ खड़ा करना और उनसे भारतीय सुरक्षा एजंसियों की जासूसी करवाने के लिए आईएसआई और आईएसआईएस भारत के ऐसे लोगों को अपना मोहरा बना रहा है, जो ऑटो चला रहे है, वेल्डिंग व कबाड़ी की दुकान चला रहे हैं. इतना ही नहीं आतंकी एजेंसियां माली, नाई और मोची तक को अपना एजेंट बना रही है. इसके लिए बकायदा आईएसआई भारत में मौजूद अपने एजेंट के द्वारा फंडिंग भी करवा रही है.

यूपी एटीएस कर रही एक्शन की तैयारी.

ऑटो चालक, वेल्डर व कारपेंटर को टारगेट कर रही ISI :यूपी एटीएस के सूत्रों के मुताबिक बीते दिनों पंजाब से गिरफ्तार हुए आईएसआई एजेंट अमृत गिल व उसे फंडिंग करने वाले रियाजउद्दीन की पूछताछ के बाद कई चौकाने वाले खुलासे हुए हैं. यूपी एटीएस की जांच के आधार पर अब तक सामने आ रहा था कि आईएसआई, आईएसआईएस और पीएफआई अपना मॉड्यूल बनाने के लिए पढ़े लिखे युवाओं की भर्ती कर रहा है, लेकिन अमृत गिल व रियाजुउद्दीन से पूछताछ के बाद सामने आया है कि रियाजुद्दीन को पाकिस्तान से मिले 70 लाख रुपये ऐसे लोगों पर खर्च किए जा रहे थे जो ऑटो चालक, वेल्डिंग करने वाले, कारपेंटर, माली और मोची का काम करते हैं.


लोगों की नजर में नहीं आते हैं वेल्डर, ड्राइवर और कारपेंटर :सूत्रों के मुताबिक रियाजउद्दीन ने एटीएस को बताया है कि पाकिस्तान में बैठे उसके आकाओं ने उसे निर्देश दिए थे कि ऐसे लोगों को अपना जासूस बनाओ जो इन्ही कामों से जुड़े हों, जो रोजाना कहीं भी बिना रोक टोक के एंट्री कर लेते हो और उनकी प्रोफाइल देख कोई भी उन पर शक न कर सकें. एटीएस चीफ मोहित अग्रवाल ने बताया कि रियाजुद्दीन ने पंजाब के भटिंडा निवासी अमृत गिल को फंडिंग की थी, जिसके एवज में अमृत ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी को भारतीय सेना के टैंक, हथियार और उससे जुड़ी कई संवेदनशील जानकारी मुहैया कराई थी. एटीएस के मुताबिक गाजियाबाद के रहने वाले रियाजउद्दीन और इजहारूल को पाकिस्तान से मिले 70 लाख रुपये को अमृत गिल के अलावा कई जासूसों को फंडिंग की थी.



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