लखनऊ : नॉर्मल डिलीवरी एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे हर महिला को गुजरना पड़ता है, लेकिन साथ ही असहनीय दर्द बर्दाश्त करना पड़ता है. दर्द निवारण के लिए इंजेक्शन का उपयोग किया जा सकता है. इसके लिए रीढ़ में एक पतले से कैथेटर के माध्यम से दवा दी जाती है. इसके बाद महिला को डिलीवरी का दर्द नहीं होता और बच्चा भी बिना ऑपरेशन के हो जाता है, लेकिन प्रदेश के कई मेडिकल कॉलेजों में एनेस्थसिया के डॉक्टर नहीं होने के कारण इस विधि का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है. प्रदेश के सबसे बड़ी मेडिकल कॉलेज केजीएमयू के महिला विभाग में भी एनेस्थसिया टीम नहीं होने के कारण इस विधि द्वारा डिलीवरी नहीं कराई जा रही है. महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि हर महिला को अपने जीवन में प्रसव पीड़ा को जरूर बर्दाश्त करना पड़ता है. ऐसे में एपिडूरल इंजेक्शन कहीं न कहीं अच्छा और जरूरी भी है.
महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. सीमा मल्होत्रा के मुताबिक एपीडुरल दर्द से राहत पाने का एक तरीका है. इसका इस्तेमाल प्रसव के दौरान किया जाता है. यह शरीर के निचले हिस्से में लगातार हो रहे दर्द में राहत पहुंचाता है, जबकि महिला पूरे होश में होती है. यह रीजनल या लोकल एनेस्थीसिया होता है. इसलिए आपका पूरा शरीर इससे प्रभावित नहीं होता. आपके शरीर का निचला हिस्सा सुन्न हो जाता है, जबकि महिला सचेत रहती है. यह अनुभूति को कम कर देता है, मगर ऐसा नहीं है कि आपको पूरी तरह कुछ भी अहसास नहीं होगा. उन्होंने कहा कि अगर सभी महिला अस्पतालों में एनेस्थसिया के डॉक्टर हों तो गर्भवती महिलाओं को नॉर्मल डिलीवरी के दौरान होने वाली प्रसव पीड़ा से बचाया जा सकता है. कम उम्र में गर्भवती होने के कारण कई बार जच्चा-बच्चा की जान को खतरा रहता है. महिलाएं प्रसव पीड़ा बर्दाश्त नहीं कर पाती हैं और दम तोड़ देती हैं. ऐसे में यह इंजेक्शन काफी मददगार साबित हो सकता है, अगर अस्पतालों में एनेस्थीसिया के डॉक्टर मौजूद रहें.
हर गर्भवती महिला को देना संभव नहीं : डॉ. सीमा मल्होत्रा ने बताया कि एक महीने में करीब 800 से अधिक गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया जाता है. रोजाना के हिसाब से करीब 25 से 30 गर्भवतियों का प्रसव अस्पताल में होता है. ऐसे में हर गर्भवती महिला की काउंसिलिंग हम नहीं कर पाते हैं या उन्हें एपीडुरल इंजेक्शन के बारे में नहीं बता पाते हैं. वैसे तो एपीडुरल इंजेक्शन प्रथम पीड़ा से बचने के लिए काफी अच्छा माध्यम है. अस्पताल में हर गर्भवती महिला को एपीडुरल इंजेक्शन लगाएं ऐसा संभव इसलिए भी नहीं है, क्योंकि हर समय एनेस्थीसिया की टीम या विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं होते हैं. उन्होंने बताया कि देखा जाए कई बार अस्पताल में ऐसे केस आते हैं जिसमें महिला प्रसव पीड़ा नहीं बर्दाश्त कर पाती हैं. ऐसे में जच्चा बच्चा की मौत हो जाती है. ज्यादातर कम उम्र की महिलाओं के साथ यह समस्या होती है. उन्होंने कहा कि सभी का अलग इम्यून सिस्टम होता है और ऐसा ही प्रसव के दौरान भी होता है. कुछ महिलाएं प्रसव पीड़ा सह लेती हैं, लेकिन वर्तमान की महिलाएं प्रसव पीड़ा बर्दाश्त नहीं कर पाती हैं.