लखनऊ: संस्कार भारती के संस्थापक योगेंद्र बाबा का पार्थिव शरीर शुक्रवार की शाम बैकुंठ धाम श्मशान घाट पर पंचतत्व में विलीन हो गया. इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजेंद्र नगर स्थित भारती भवन में खुद जाकर दिवंगत योगेंद्र बाबा के अंतिम दर्शन किए और उनको श्रद्धांजलि अर्पित की. इस मौके पर महापौर संयुक्ता भाटिया समेत बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे. योगेंद्र बाबा के शव को तिरंगा ध्वज से ढककर उन्हें सम्मान दिया गया.
बता दें कि संस्कार भारती के संस्थापक पद्मश्री योगेंद्र बाबा का 98 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. बाबा योगेंद्र का जन्म 7 जनवरी, 1924 को उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में हुआ था. बचपन में गांव में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में जाने लगे. इसके बाद गोरखपुर में पढ़ाई के दौरान उनका संपर्क संघ के प्रचारक नानाजी देशमुख से हुआ. संघ का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वह प्रचारक बने. बाबा जोगेंद्र गोरखपुर, प्रयाग, बरेली, बदायूं और सीतापुर में प्रचारक रहे. शीर्ष नेतृत्व ने उनकी प्रतिभा देखकर 57 वर्ष की आयु में 1981 में ‘संस्कार भारती’ नामक संगठन के निर्माण कार्य का कार्यभार उन्हें सौंपा.
बाबा योगेंद्र का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन.
सीएम योगी ने दी श्रद्धांजलि:पद्मश्री योगेंद्र बाबा के निधन पर सुबह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की उनके निधन पर दुख जताया. सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर लिखा कि 'संस्कार भारती' के संस्थापक, असंख्य कला साधकों के प्रेरणास्रोत, कला ऋषि, 'पद्म श्री' बाबा योगेंद्र जी का निधन अत्यंत दुःखद है. प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान व उनके असंख्य प्रशंसकों को यह दुःख सहने की शक्ति दें। ॐ शांति!
सीएम योगी ने कू पर ट्वीट करके जताया दुख वहीं, गोरखपुर में बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कार्यक्रम समापन के तत्काल बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ योगेंद्र बाबा को श्रद्धांजलि देने के लिए गोरखपुर से निकल गए. वो एयरपोर्ट से सीधे राजेंद्र नगर स्थित भारती भवन पहुंचे. जहां उन्होंने दिवंगत योगेंद्र बाबा के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित की. इस दौरान महापौर संयुक्ता भाटिया पैर में चोट होने के बावजूद व्हीलचेयर पर बैठकर पहुंची. अंतिम यात्रा से पहले योगेंद्र बाबा के शव को तिरंगे से ढका गया. भारत माता की जयकारों के बीच उनकी अंतिम यात्रा बैकुंठ धाम के लिए प्रस्थान की.
देश के समर्पित लगाईं प्रदर्शनी
योगेंद्र ने 1942 में लखनऊ में प्रथम वर्ष ‘संघ शिक्षा वर्ग’ का प्रशिक्षण लिया. 1945 में वे प्रचारक बने और गोरखपुर, प्रयाग, बरेली, बदायूं, सीतापुर आदि स्थानों पर संघ कार्य किया. उनके मन में एक सुप्त कलाकार सदा मचलता रहता था. देश-विभाजन के समय उन्होंने एक प्रदर्शनी बनाई. जिसने भी इसे देखा. वह अपनी आंखें पोंछने को मजबूर हो गया, फिर तो ऐसी प्रदर्शिनियों का सिलसिला चल पड़ा. शिवाजी, धर्म गंगा, जनता की पुकार, जलता कश्मीर, संकट में गोमाता, 1857 के स्वाधीनता संग्राम की अमर गाथा, विदेशी षड्यन्त्र, मां की पुकार...आदि ने संवेदनशील मनों को झकझोर दिया. 'भारत की विश्व को देन' नामक प्रदर्शनी को विदेशों में भी प्रशंसा मिली.
नए कलाकारों को मंच दिया
संघ नेतृत्व ने योगेंद्र की इस प्रतिभा को देखकर 1981 ई. में 'संस्कार भारती' नामक संगठन का निर्माण कर उसका कार्यभार उन्हें सौंप दिया. उनके अथक परिश्रम से 41 वर्षों में संस्कार भारती आज कला क्षेत्र की अग्रणी संस्था बन चुकी है. बाबा योगेन्द्र को पद्मश्री से पुरस्कृत किया गया था. बाबा योगेन्द्र जी के बारे में लोगों के मुख से तमाम बातें सुनने को आती रही हैं. इसमें एक बार उनके संघ शिक्षा वर्ग में प्रदर्शनी बनाने और उसके चर्चित होने के बाद प्रदर्शनियों का सिलसिला चल पड़ने की बात की जाती रही है. शिवाजी, धर्म गंगा, जनता की पुकार, जलता कश्मीर, संकट में गोमाता, 1857 के स्वाधीनता संग्राम की अमर गाथा, विदेशी षड्यन्त्र, मां की पुकार आदि ने संवेदनशील मन को झकझोर दिया. 'भारत की विश्व को देन' नामक प्रदर्शनी को विदेशों में भी प्रशंसा मिली.
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