लखनऊ : लोकसभा चुनाव 2024 के लिए जहां एक ओर भारतीय जनता पार्टी ने अभी से दलित समाज (lok sabha election 2024) के लोगों के बीच में पैठ बनाने की शुरुआत कर दी है, वहीं कांग्रेस पार्टी ने दलितों के बीच जाने की तैयारी तो की, लेकिन उसे अमलीजामा पहनाने में पीछे रह गई. बीते 9 अक्टूबर को बसपा संस्थापक कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर कांग्रेस पार्टी की ओर से 'दलित गौरव संवाद' अभियान की शुरुआत की गई थी. इसके तहत प्रदेश के एक लाख दलितों को साथ जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन इस कार्यक्रम के शुरू होने के 10 दिन बाद अभी तक कांग्रेस नेता ने दलित बस्तियों में पहुंचना तक शुरू नहीं किया है. बीते गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस कमेटी में सभी जिलाध्यक्षों और पार्टी के प्रदेश इकाई के साथ बैठक में जब इस संवाद अभियान पर प्रदेश अध्यक्ष ने प्रोग्रेस के बारे में जानकारी ली, तो पता चला कि लगभग सभी प्रदेशों में यह अभियान केवल चर्चा का विषय बनकर ही रह गया है. इसके बाद एक बार फिर से उन्होंने नए सिरे से सभी पदाधिकारी, जिलाध्यक्षों और कार्यकर्ताओं को हर विधानसभा में स्थित दलित बस्तियों तक पहुंचाने और उनसे संवाद स्थापित करने के निर्देश दिए हैं.
10 दलित बस्तियों में चलना होगा अभियान :उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से प्रदेश में करीब एक लाख दलित परिवारों को अपने साथ जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. 10 दिन चले अभियान के बाद कांग्रेस निर्धारित लक्ष्य के 10 प्रतिशत के बराबर भी दलित परिवारों के घर तक नहीं पहुंच पाई है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि बैठक में आए जिलाध्यक्षों और प्रदेश पदाधिकारी ने बताया कि 'उन्हें उम्मीद थी कि नई कार्यकारिणी की घोषणा होने जा रही है, जिसके बाद इस अभियान को तेज धार मिलेगी. प्रदेश कार्यकारिणी के गठन के इंतजार में बैठे पदाधिकारियों ने इस अभियान की जानकारी तक नहीं ली. जैसे ही यह मामला प्रदेश अध्यक्ष के सामने खुला तो उन्होंने सभी जिला अध्यक्षों, प्रदेश प्रभारी एवं पदाधिकारियों को उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा में हर एक विधानसभा में कम से कम 10 दलित बस्तियों में संचालित करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही बैठक में उन्होंने सभी पदाधिकारी एवं जिला अध्यक्षों को निर्देश दिया कि जो भी पदाधिकारी या जिलाध्यक्ष इस अभियान में सहयोग नहीं कर रहा है तो उसकी सूचना उन तक भेजें. उन्होंने बताया कि प्रदेश की नई कार्यकारिणी के गठन की प्रक्रिया चल रही है, ऐसे में जब तक नई कार्यकारिणी का गठन नहीं हो जाता है तब तक सभी मौजूद पदाधिकारी व संगठन से जुड़े लोग अपने दायित्व का निर्वहन पूरी ईमानदारी से करें.' सूत्रों का कहना है कि हर विधानसभा में 500 दलित समाज के प्रभावी लोगों से मांग पत्र भरवाया जाएगा. इसके अलावा पार्टी हर विधानसभा में 10 और कुल चार हजार से अधिक रात्रि चौपाल का आयोजन कर दलित समाज के लोगों से सीधे संवाद स्थापित करेगी.