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लखनऊ : आउट सोर्स कंपनी निकली रिश्वतखोर, मुकदमा दर्ज

लखनऊ के गोमती नगर थाने में नागरिक सुरक्षा निदेशालय ने एक कंपनी के खिलाफ ठगी का मुकदमा दर्ज कराया है. दरअसल यूपी सरकार में ड्राइवर के पदों पर होने वाली भर्ती कराने वाली आउटसोर्सिंग कंपनी के अधिकारियों पर घूसखोरी का आरोप लगा है.

आउट सोर्स कंपनी निकली रिश्वतखोर, मुकदमा दर्ज

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Published : Apr 7, 2019, 8:35 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों की आपूर्ति करने वाली कंपनियां भी बेरोजगार युवकों को ठगने में शामिल हो गई हैं. नागरिक सुरक्षा निदेशालय ने ऐसी ही एक कंपनी की ठगी के खिलाफ गोमती नगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया है.

आउट सोर्स कंपनी निकली रिश्वतखोर, मुकदमा दर्ज

नागरिक सुरक्षा निदेशालय में ड्राइवर के पदों पर होने वाली भर्ती में आउटसोर्सिंग करने वाली कंपनी के अधिकारियों पर घूसखोरी का आरोप लगा है. वाराणसी की नागरिक सुरक्षा शाखा में ड्राइवर के पद पर नियुक्ति के नाम पर आउट सोर्स कंपनी के अधिकारियों ने रिश्वत लेकर एक युवक को फर्जी नियुक्ति पत्र भी थमा दिया, जबकि उसका चयन हुआ ही नहीं था.

धोखाधड़ी का शिकार हुए चंदौली निवासी जोगेंद्र सिंह को जब पता चला कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है तो उन्होंने नागरिक सुरक्षा निदेशालय के अधिकारियों को इसकी जानकारी दी. साथ ही बताया कि कर्मचारियों की आउटसोर्सिंग करने वाली कंपनी डिग्नस फाइनेंशियल प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारियों ने उससे 60 हजार की रिश्वत ली है. अधिकारियों ने बगैर रिश्वत दिए नौकरी मिलना नामुमकिन बताया था. ऐसे में मजबूर होकर उन्हें पैसे देने पड़े.

मगर अब उनके नियुक्ति पत्र को भी फर्जी बताया जा रहा है. पुष्ट आरोप सामने आने के बाद नागरिक सुरक्षा निदेशालय के अधिकारियों ने मामले की जांच कराई. बाद में गोमती नगर थाने में निदेशालय के प्रशासनिक अधिकारी मोहन चंद्र कांडपाल की ओर से एक रिपोर्ट दर्ज कराई गई है. इसमें आउटसोर्स कंपनी डिग्नस फाइनेंसियल प्राइवेट लिमिटेड के मालिक व संचालक और पीड़ित समेत तीन लोगों को आरोपी बनाया गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि रिश्वत देना भी अपराध है. पुलिस ने आईपीसी की धारा 419, 420, 406 के तहत मामला दर्ज किया है. आउट सोर्स कंपनी का कार्यालय गोमती नगर के विराम खंड में स्थित है.

सरकारी विभागों में काम करने के लिए योग्य लोगों की भर्ती पिछले कई सालों से बंद है. इसके बजाय आउट सोर्स कंपनियों को कर्मचारियों की आपूर्ति का जिम्मा दिया जा रहा है. इससे सरकार का काम आसान हुआ है. उसकी आर्थिक जिम्मेदारियां कम हुई हैं. कर्मचारियों की समस्याओं और आंदोलन का नुकसान सरकार को नहीं उठाना पड़ता है.

मगर जिन कंपनियों को मौका दिया जा रहा है, वह कर्मचारियों के साथ वेतन वितरण में धोखाधड़ी करती रही हैं. मगर यह पहला मौका है जब रोजगार युवकों को आउटसोर्स कंपनियों के जरिए रोजगार पाने के लिए भी रिश्वत देना पड़ रहा है. नागरिक सुरक्षा निदेशालय के आईजी अमिताभ ठाकुर भी मानते हैं कि अगर कंपनियों के कामकाज की पूरी जांच की जाए तो गड़बड़ी ज्यादा बड़ी साबित होगी.

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