लखनऊ:कोराना काल के दौरान यूपी में करीब 37 लाख प्रवासी श्रमिक आए हैं. यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार श्रमिकों को भरण-पोषण भत्ता, राशन और स्वास्थ्य सेवाएं दे रही है. इसके अलावा सरकार श्रमिकों को रोजगार देने की कवायद में भी जुटी है. स्किल मैपिंग के उपरांत करीब 25 से 28 लाख श्रमिकों को सरकार ने रोजगार देने का दावा किया है. बावजूद इसके बाहर से आए हुए श्रमिकों की जिंदगी पटरी पर आने में थोड़ा वक्त जरूर लगेगा.
मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह. अपर मुख्य सचिव सूचना एवं गृह अवनीश अवस्थी ने बताया कि एक मार्च से 15 जून तक 36 लाख 31 हजार प्रवासी मजदूर यूपी वापस आये हैं. 16 जून से 19 जुलाई तक एक लाख 32 हजार श्रमिक आये हैं. इन श्रमिकों को रोजगार दिलाने के लिए सरकार ने स्किल मैपिंग करवाया है. अब तक 35 लाख 27 हजार लोगों की स्किल मैपिंग की गई है. श्रमिकों के हुनर के हिसाब से रोजगार दिया जा रहा है.
मनरेगा के तहत 10 लाख प्रवासी श्रमिकों को रोजगार
मनरेगा के अंतर्गत 24 लाख 49 हजार श्रमिकों को आज भी रोजगार दिया जा रहा है. बरसात शुरू होने से पूर्व यह आंकड़ा करीब 60 लाख तक पहुंच गया था. 19 जुलाई तक तीन हजार 418 करोड़ रुपये तक का भुगतान करना था. इसमें से तीन हजार करोड़ से अधिक रुपये का भुगतान सरकार ने कर दिया है. हुनर के हिसाब से अलग-अलग क्षेत्रों में प्रवासी श्रमिकों को रोजगार दिया जा रहा है. मौजूदा समय में प्रदेश में 10 लाख प्रवासी श्रमिकों को मनरेगा के तहत रोजगार दिया जा रहा है. इसके अलावा ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत करीब एक लाख महिला प्रवासी श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराया जा रहा है.
एमएसएमई मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि स्वरोजगार के लिए अलग-अलग योजना है. ओडीओपी, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, प्रधानमंत्री रोजगार गारंटी योजना, मुख्यमंत्री रोजगार गारंटी योजना जैसी कई योजनाएं हैं. इन योजनाओं से जुड़कर उद्योग करने वालों को सरकार मदद कर रही है. बैंकों के माध्यम से ऋण देने की योजना में जिला स्तर पर सभी के आवेदनों की जांच की जाती है. बैंकों से संबंधित विभाग के अधिकारी बात करके ऋण संबंधी समस्याओं का निपटारा कराते हैं. ऐसी योजनाओं में लोगों को रोजगार दिलाया जा रहा है.
निर्माण क्षेत्र में 11 लाख प्रवासी श्रमिकों को रोजगार
प्रदेश में विशेष रुप से कंस्ट्रक्शन लेबर की मांग सामने आई है. इसके अलावा कंप्यूटर ऑपरेटर, ब्यूटी पार्लर संचालक, ड्राइवर, पैरामेडिकल स्टॉफ की स्किल मैपिंग की गई. स्किल मैपिंग के तहत कामगारों औऱ श्रमिकों को रोजगार देने के लिए एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया था. इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, फिक्की, लघु उद्योग भारती, नरडेको और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच हुए यह करार हुआ है. इस करार में 11 लाख श्रमिकों, कामगारों को रोजगार दिया जा रहा है.
पलायन पर रोक लगेगी
सरकार की नीति है कि बाहर से आए हुए सभी प्रवासी श्रमिकों को उनके क्षेत्रों में ही रोजगार मुहैया कराया जाए. अगर उन्हें यही रोजगार मिल रहा है तो प्रवासी श्रमिकों को दूसरे राज्यों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. ऐसे में अगर श्रमिकों का पलायन नहीं हुआ तो निश्चित तौर पर उत्तर प्रदेश का भी विकास होगा. कोरोना काल में करीब 25 से 28 लाख प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजगार उपलब्ध कराया गया है.
प्रवासी श्रमिकों के पूरे परिवार की व्यवस्था
प्रवासी श्रमिकों के बच्चों के लिए सरकार की अलग से कोई योजना नहीं है. उनके बच्चों का स्कूल में दाखिले की समस्या है. फिलहाल अभी यूपी में स्कूल खुले नहीं हैं. शहरों में तो स्कूलों ने ऑनलाइन क्लास शुरू कर दी है. ग्रामीण अंचल में वह भी संभव नहीं हो पा रहा है. ऐसे में स्कूल में दाखिले कैसे होगा. हां इतना जरूर है कि सरकार ने उनके भरण पोषण की चिंता जरूर की है. दूसरे राज्यों से आये श्रमिकों को सरकार ने राशन किट दिया है. इस कोरोना काल में करीब 10 लाख नये राशन कार्ड बनाये गए हैं. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने सभी को राशन उपलब्ध कराने की घोषणा कर रखी है.